-रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी
Wednesday, November 12, 2008
कविता : अद्भुत है संसार
-रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी
Monday, November 10, 2008
छोटे घरेलु नुस्खों से पायें बेहतर स्वास्थ्य
- भोजन के बाद रोजाना एक सेब खाने से दांतों की सफेदी बढती है। रेशेदार कच्ची सब्जियां जैसे गाज़र, मूली एवंसेब जैसे फल दातों के लिए ब्रश जैसा काम करतें है।
- थोड़ा सा बेकिंग पावडर से दांतों और मसूडों पर मालिश करने से दांतों मे चमक आती है और मसूडे साफ़ होते है।
- सेब, खीरा इत्यादी फलों को छिलके समेत खाना चाहिए। छिलका उतरकर खाने से उसमे पाए जाने वाले प्रतिउप्चायक (Antioxidants) 50% तक कम हो जातें है।
- सप्ताह मे दो बार आधे घंटे के लिए जॉगिंग करने से मानसिक एकाग्रता एवं दृश्य स्मरण शक्ति मे वृद्धि होती है।
- त्वचा को चुस्त बनाने के लिए आलू के टुकड़े को चेहरे और गले पर मले और पन्द्रह मिनट बाद धो दे।
- ब्रश करने पर यदि मसूडों से खून आता हो तो यह विटामिन सी कि कमी से हो सकता है। आपको विटामिन सी प्रचुर मात्रा मे लेनी चाहिए।
- प्रतिदिन कम से कम ८-१० ग्लास पानी अवश्य पीना चाहिए. इससे किडनी सुचारू रूप से काम करती है ओर स्वस्थ रहती है।
- नारियल का पानी त्वचा, पाचन तंत्र व् बालों के लिए बहुत लाभकारी होता है । सप्ताह मे दो बार नारियल पानी पीना काफ़ी फायदेमंद होता है।
- चेहरे को नर्म और मुलायम बनने के लिए केले को मसल कर चेहरे पर लगायें और १० मिनट बाद गुनगुने पानी से धो ले। चेहरे कि त्वचा मुलायम हो जायेगी।
- भूख खुलकर ना लगती हो तो रोज़ सुबह पपीता खाएं । यदि कब्ज होगा तो नियमित पपीता खाकर दूध पिए कब्ज दूर होगा ।
श्री केसरवानी वैश्य सभा, लखनऊ का अर्ध वार्षिकोत्सव 13 नवम्बर 2008 को
चित्रकला, निबंध, व् रंगोली प्रतियोगिता- मध्यान्ह १२ बजे
सहभोज- अपराह्न २.३० बजे
हौजी - सायं ४ बजे
कार्यक्रम सम्बन्धी अन्य सूचनाएँ:
- विभिन्न प्रतियोगिताएं मे भाग लेने हेतु बच्चे अपने साथ ड्राइंग बोर्ड, राइटिंग बोर्ड, रंग, ब्रश, पेन, पेंसिल, रबर, इत्यादि सामग्री साथ लायें। सभा द्वारा केवल ड्राइंग शीटरूलदार शीट उपलब्ध कराई जायेगी।
- भोजन कि व्यवस्था कूपन द्वारा कि गई है। कूपन का मूल्य रु २०/- निर्धारित किया गया है।
- अभिभावकों से अनुरोध है कि वे वर्ष २००८ में संपन्न कक्षा १०, १२, स्नातक, परास्नातक व् व्यवसायिकपाठ्यक्रमोंकि अन्तिम वर्ष कि परीक्षा को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने वाले अपने पुत्र -पुत्रियों कि अंकतालिकाओंकि छायाप्रतियाँ तथा उनके द्वारा स्कूल/जिला/प्रान्त/राष्ट्र स्तरीय खेल कूद/ वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि केप्रमाण पत्रोंकि छायाप्रतियां भी सभा के मंत्री को उपलब्ध कराएँ। पुरूस्कार मार्च/अप्रैल २००९ में आयोजित होनेवाले वार्षिकसमारोह मे प्रदान किए जायेंगे।
Saturday, November 8, 2008
Matrimonial: Anil Kumar Keshari
Name: Anil Kumar Keshari
Date Of Birth: 30th January, 1978
Height: 5' 10"
Complexion: Very Fair
Education:
- Mechanical Engineering (First Class) Year 2002, From Fr. Agnel Engineering College, Mumbai
- TOEFL Cleared with 86%
- Ceisco Networking Course
Email: jk_keshari@yahoo.com
Telephone: 09323754721 (Father- Sri Amar Nath)
Address: Flat: 1704, Laxmi Narayan Bldg, 17th Floor, Thane (West)- Mumbai, Maharashtra
Family Background:
Father: Mr. AmarNath Keshari (Gold Medalist in M.Pharma) Worked in Hindustan Ciba Gige Ltd. Presently having own business of Engineering of Manufacturing tools andMachineries.
Mother: Late Mrs. Gita Amar Keshari (From Varanasi, Bhiru Ram Mathura Prasad, Machoduri Park)
Sister: (One Sister Married) Mrs. Anita Jitendra Keshari {With cute sweet little daughter Ms. Jenny(3 yrs)} Lawyer & Microbiologist- working in Dubai (Got Married in Kolkatta)
Brother In Law: Mr. Jitendra Kumar Keshri Chartered Accountant & Cost Accountant Working in ARMS Group, Dubai. (S/o Shri Radheyshyam Keshari, Shyambazar, Kolkatta)
Other Relatives:
- Mr. Devi Prasad Keshari (Uncle) & Mrs. Nanda Devi Keshari(Aunty): Businessman- Having own business of Engineering From Bombay.
- Mr. Shiv Prasad Keshari (Uncle) & Mrs. Kamini Shiv Keshari (Aunty): Businessman- Having own business of Engineering From Bombay.
Friday, November 7, 2008
छत्तीसगढ़ के जन नेता निरंजन केसरवानी
वे राजनीति के क्षेत्र में 'छत्तीसगढ़ के शेर' कहलाते थे। उनकी दहाड़ से जहां अच्छे अच्छे राजनेता और अधिकारियों की हालत पतली हो जाती थी, वहीं उनके अकाट्य तर्कों के सामने सबको उनकी बात माननी पड़ती थी। मुझे एक वाकया याद आ रहा है, जब चौधरी चरणसिंह काम चलाऊ सरकार के प्रधान मंत्री बने और बिलासपुर के दौरे पर आये थे। सर्किट हाउस में उनसे मिलने वालों का तांता लगा था, तब बिलासपुर लोकसभा के सांसद श्री निरंजन केशरवानी भी उनसे मिलने गए। उस समय बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र को अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट बनाने की सिफारिश की जा चुकी थी। केसरवानी जी ने उनसे पूछा कि 'आपने वर्तमान सांसद से बिना सलाह मशविरा किये इसे सुरक्षित सीट कैसे घोषित कर दिया ?' सवाल जवाब के बीच ऐसी स्थिति आ गयी कि उन्हें पुनर्विचार का आश्वासन देना पड़ा। उनकी इस निर्भीकता से जनता बहुत प्रभावित हुई और उन्हें अपने सर-आंखों में बिठा लिया। वे एक सफल अधिवक्ता भी थे। वे तथ्यों को जिस तरह से जिरह करके प्रस्तुत करते थे कि विद्वान न्यायाधीश भी चकित रह जाते थे। बिलासपुर और मुंगेली में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उनकी गिनती एक सफल अधिवक्ताओं में होती थी।
अनूठे व्यक्तित्व के धनी श्री निरंजन केशरवानी का जन्म उनके ननिहाल झलमला, जिला दुर्ग में 29 जून सन् 1930 में हुआ। उनकी प्राथमिक और हायर सेकेंडरी शिक्षा मुंगेली में हुई। उच्च शिक्षा बनारस और बिलासपुर में हई। कानून की शिक्षा उन्होंने नागपुर के मारिस कॉलेज से ग्रहण की। सरल स्वभाव और नेतृत्व क्षमता के कारण वे अपने छात्र जीवन में स्कूल और कालेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। उनके सहपाठी श्री श्रीपति बाजपेयी ने चर्चा के दौरान मुझे बताया कि मैं, श्री निरंजन केशरवानी और श्री राजेन्द्रप्रसाद शुक्ला सहपाठी थे। दोनों शुरू से ही राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी और बहुत अच्छे मित्र थे। उनमें किसी न किसी बात को लेकर अक्सर तकरार हो जाती थी, तब मुझे ही बीच-बचाव करनी पड़ती थी। आगे चलकर दोनों राजनीति में आए और राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी बने। उनके छात्र जीवन के ऐसे अनेक संस्मरण डॉ. गजानन शर्मा भी बताते नहीं अघाते थे। उन्होंने बताया कि उनकी विशेष रूचि समाज, साहित्य और राजनीति में थी।
कानून की शिक्षा उन्होंने नागपुर से उन दिनों प्राप्त की जब सी. पी. एंड बरार प्रदेश की राजधानी नागपुर में थी और उनके पिता श्री अम्बिकाप्रसाद साव रामराज्य परिषद से विधायक थे। राजधानी होने से वे वहां हमेशा जाया करते थे और वहां उनकी बेटी और दामाद भी रहते थे। एक बार वे अपने पिता जी को रेल्वे स्टेशन पहुंचाकर लौट रहे थे तभी रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। इस हादसे में डॉक्टरों की थोड़ी लापरवाही के कारण उनका एक पैर काटना पड़ा था। मगर उनके पिता और माता जी का असीम स्नेह और सहधर्मिणी श्रीमती सरोजनी देवी के सहयोग से उन्होंने अपने जीवन की नैया पार कर ली। उन्होंने अपने जिन्दगी को खूब जिया और अपनी विकलांगता को कभी आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने नागपुर में छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों का एक 'छत्तीसगढ़ क्लब' भी बनाया था। वे अपने मित्रों और सहपाठियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे। एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने मुझे बताया कि एक बार बालपुर के पंडित लोचन प्रसाद पांडेय के पुत्र की तबीयत बिगड़ गयी और उनकी हरकतों से सभी परेशान होने लगे तो उन्हें रायगढ़ तक छोड़ने के लिए किसी को भेजने का निश्चय हुआ। तब उनकी जिद पर उन्हें रायगढ़ तक पहुंचाने आना पड़ा था।
स्मृतियां चलचित्र की भांति मेरे जेहन में घूमने लगती है। मेरी उनसे पहली मुलाकात सारंगढ़ में केशरवानी भवन के उद्धाटन के अवसर पर हुई। वे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। मैं एम. एस-सी. की पढ़ाई पूरी करके लौटा था। सामाजिक गतिविधियों में मेरी पहले से ही गहरी रूचि थी। मैंने शिवरीनारायण में 'केशरवानी यूथ सोसायटी' भी बनायी थी जिसका मैं अध्यक्ष था। इस सामाजिक कार्यक्रम में उन्होंने मुझे ही नहीं बल्कि हमारी नवयुवकों की जमात को अपना स्नेह और संबल प्रदान किया। मुझे वे अपने बगल में बिठाये और मेरी बातों को ध्यान पूर्वक सुनते रहे यही नहीं बल्कि मेरी बातों का पूरा समर्थन किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने मेरी बातों का जिक्र करके मुझे प्रोत्साहित किया। इस घटना ने उनके प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा भर दी। संयोग कहें या फिर ईश्वर की लीला, मेरी शादी उनकी भतीजी कल्याणी से हो गयी। फिर तो कई बार मुझे उनका सान्निघ्य मिला। वे हमसे केवल चर्चा ही नहीं करते बल्कि वे हमारा मार्गदर्शन भी किया करते थे। नवयुवकों की जमात में मेरे अलावा डॉ विनय गुप्ता, प्रदीप केशरवानी, डॉ. विजय गुप्ता, कल्पना, इंद्राणी, कल्याणी, आशीष, अखिल और अंजु केशरवानी, कमलेश्वर, विमल और कुमार आदि थे जिनसे वे हमेशा चर्चा किया करते और हमारा मार्गदर्शन किया करते थे। डॉ. विनय गुप्ता और प्रदीप केसरवानी तो उन्हें अपना आदर्श और प्रेरणास्रोत मानते हैं। चर्चा के दौरान दोनों ने मुझे बताया कि कई बार हमें उनसे प्रेरणा मिली है। उनका स्नेह-संवाद हमारा संबल रहा है। उन्हीं की प्रेरणा से हमने समाज सेवा का बीड़ा उठाया है। डॉ. विनय ने मुझे बताया कि कई बार उनसे मुझे संवाद करने का मौका मिला। डॉक्टर होने के नाते ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती थी कि मुझे जवाब देना मुश्किल हो जाता था, तब वे स्वयं इसका निदान किया करते थे। मैं उनकी मेडिकल साइंस और विज्ञान में पकड़ देखकर आश्चर्यचकित हो जाया करता था। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी स्मृतियां हमें आज भी उनका स्मरण कराती है। वे हमें बहुत याद आते हैं और हमारी आंखें नम हो जाती है।
उनके कई मित्रों, सहयोगियों, सहपाठियों और राजनेताओं से मुझे मिलने और चर्चा करने का मौका मिला। वे हमेशा उनकी निर्भीकता, दबंगता, साहस और सबको साथ लेकर चलने की कला का जिक्र करते अघाते नहीं हैं। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो अथवा राजनीति, कोर्ट का कटघरा हो अथवा होली के अवसर पर महामूर्ख सम्मेलन, सभी में अवश्य शिरकत करते थे। राजनीति तो उन्हें अपने पिता श्री अम्बिका साव से विरासत में मिली थी। कानून की परीक्षा पास करके उन्होंने वकालत शुरू की, तब उनके पिता दूसरी बार चुनाव लड़े जिसमें उन्होंने पूरी सक्रियता से भाग लिया। अंचल के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता और पूर्व सांसद श्री रामगोपाल तिवारी के सानिघ्य में उन्होंने वकालत शुरू की थी। उसके बाद वकालत के क्षेत्र में वे आगे बढ़ते ही गए। समय गुजरता गया और वे वकालत में उलझते गए। इस बीच छत्तीसगढ़ में कई हादसे हुए जिनकी गुत्थियों को सुलझााने के लिए आगे आए, चाहे गुरवाइन-डबरी का गोलीकांड हो, चांपा और पांडातराई का गोलीकांड हो, शक्रजीत नायक का दल बदल प्रकरण हो या जंगबली-बजरंगबली प्रकरण, सभी में उन्होंने नि:स्वार्थ भावना से पैरवी कर अपनी सक्रियता और जननेता होने का परिचय दिया। उनके इन कार्यो से उन्हें प्रसिद्धि ही नहीं मिली बल्कि उन्हें लोगों का असीम प्यार और विश्वास मिला। इससे सत्ताधीशों की नींद हराम हो गयी। उन्हें हमेशा विपक्ष की राजनीति रास आयी और वे भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे। सन् 1975 के अपातकाल में 19 माह वे जेल में रहे और जेल की बुराईयों को दूर करने के लिए संघर्ष किये। इस कारण 19 माह की अवधि में कई जेलों में स्थानान्तरित किया गया। 1977 में उन्हें जेल से मुक्ति मिली और जनता पार्टी की टिकट पर वे बिलासपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। लोगों ने उन्हें अपने सर-आंखों पर बिठाया। उन्होंने अपने पिता श्री अम्बिका साव की स्मृति में बिलासपुर में 'अम्बिकासाव स्मृति स्वर्ण कप हाकी टूर्नामेंट' शुरू कराया था। लेकिन उसके बाद उनकी स्मृति में दोबारा हाकी टूर्नामेंट नहीं हुआ। इसके पूर्व वे सन् 1967 में लोरमी-पंडरिया से विधानसभा चुनाव लड़े और हार गए लेकिन इससे उन्हें संघर्ष करने की प्रेरणा मिली और सन् 1974 में जरहागांव-पथरीया विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर सक्रिय राजनीति में आये। पार्टी के निर्देश पर उन्होंने अकलतरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा मगर हार गए लेकिन सन् 1990 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। वे मुंगेली नगरपालिका के लोकप्रिय अध्यक्ष भी रहे। बिलासपुर को-आपरेटिव्ह बैंक के संचालक और भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये लेकिन वे कभी विचलित नहीं हुए, न ही उनकी दबंगता और निर्भीकता में अंतर आया। राजनीति में पार्टी के नेता तो क्या सत्ता पक्ष के नेता भी उनका लोहा मानते थे और उनका आदर करते थे। संभवत: यही कारण है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण स्थान था। पार्टी के नेता उन्हें अपना सर्वमान्य नेता मानते थे। डॉ. गजानन शर्मा उन्हें अपना एक जिज्ञासु और साहित्य के विद्यार्थी के रूप में देखते थे तो स्वजातीय उन्हें अपना सर्वमान्य प्रमुख। विविध विधाओं में पारंगत और हंसमुख मिजाज के धनी श्री निरंजन केसरवानी जिंदगी के अंतिम पड़ाव में सबके होकर भी उनके नहीं थे। उनकी अस्वस्थता को राजनीतिक निष्क्रियता समझा गया। नागपुर और दिल्ली के अस्पताल में वे जिंदगी और मौत से जूझते रहे। वे बहुत कुछ चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे, तब उन्हें पहली बार राजनीति में आने का दु:ख हुआ। हालांकि सांसद श्री दिलीपसिंह जूदेव अंतिम समय तक उनके साथ रहे मगर अंतत: वे जिंदगी से हार गए। इस अंतिम यात्रा में वे अपने मित्रों, स्वजनों, परिजनों को याद करते रहे। वे मुंगेली की उर्वरा भूमि में एक कृषि महाविद्यालय खुलवाना चाहते थे मगर उनका सपना अधूरा रह गया। वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। कदाचित् इसी कारण उनके अनुज श्री निर्मलप्रसाद केसरवानी ने उन्हें ''अलख निरंजन'' कहा करते हैं, वही निरंजन जो जीवन भर अलख जगाते रहे। आज उनकी केवल स्मृतियां शेष हैं। हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
नाम : निरंजन केसरवानी
पिता : अम्बिका प्रसाद साव
माता : श्रीमती नान्ही बाई
पत्नी : श्रीमती सरोजनी देवी
जन्म तिथि : 29 जून 1930, ननिहाल झलमला जिला- दुर्ग
शिक्षा : बी. ए., एल. एल-बी.
अभिरूचि : साहित्य, समाज और राजनीति
राजनीतिक यात्रा : 1967 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किये। हांलांकि इस चुनाव में उन्हें विजय नहीं मिला लेकिन क्षेत्र की जनता में वे काफी लोकप्रिय हो गये।
1974 में जरहागांव-पथरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित।
1977 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित।
1985 में अकलतरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़े मगर हार गये।
1990 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित।
नगरपालिका परिषद मुंगेली के दो बार अध्यक्ष रहे।
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे।
जिला सहकारी बैंक बिलासपुर के संचालक रहे।
भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रहे।
विधानसभा के कई समितियों के सदस्य रहे।
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रचना, लेखन एवं प्रस्तुति,
प्रो. अश्विनी केशरवानी
राघव, डागा कालोनी,
चांपा-495671 (छ.ग.)
Saturday, November 1, 2008
बिपाशा अग्रवाल : वाराणसी से न्यूयार्क का सफर
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
कविता: अब क्या लिखू
दरकती दीवारों से
झांकती बचपन की यादें
सूखे नीम के पेड़ पर
लटका झूला
जिस पर शायद ही
कोई झूले और
आसमान को छूले
नुक्कड़ पर खड़े पोस्ट
बाक्स पर लटका ताला
शायद उमीदों पर भी
अब ऐसे ही तालों में बंद है
चूल्हे से निकलता धुंआ
अब इशारा करता है
की पेट की आग पर
पानी पड़ चुका है
सपने में सूख चुका है
उमीदों का समुन्दर
खुशियाँ गली में फिरती
और गम दिलों के अन्दर
अब क्या लिखू
अब क्या लिखू ।
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
Saturday, October 25, 2008
दो करोड़ साठ लाख भारतीय विदेशों मे
39,50,000 भारतीय एशिया मे है
47,00,000 भारतीय यूरोप मे व्
6,00,000 भारतीय अफ्रीका मे है ।
विभिन्न देशों मे भारतीयों कि संख्या इस प्रकार है :
अमेरिका : 19 लाख
आस्ट्रेलिया : 2 लाख 30 हज़ार
ब्रिटेन : 1 लाख 60 हज़ार
जर्मनी : 80 हज़ार
फ्रांस : 75 हज़ार
इटली : 71 हज़ार
रूस : 16 हज़ार
#अमेरिका मे कुल आबादी मे से सिर्फ़ ३ % आबादी भारतियों कि है लेकिन अमेरिका कि अर्थव्यवस्था और विकास मे करीब ५०% योगदान भारतियों का है ।
#अमेरिका मे 38% डाक्टर भारतीय मूल के है।
#36% भारतीय वैज्ञानिक नासा मे है।
#आई टी के क्षेत्र मे 12% वैज्ञानिक भारतीय है।
#अमेरिका कि कुल समूह जातियों मे भारतीयों मे सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता है। कुल भारतीयों मे 67% भारतीयों के पास स्नातक या उससे उच्च डिग्री है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतिशत सिर्फ़ 28% है।
#अमेरिका के कुल होटलों मे से ३५% भारतीयों मालिक के है और सस्ते लौज मे ५०% भारतीयों के है । जिसकी कुल बाजार लागत करीब ४० अरब डालर है।
#अमेरिका के हर दस मे से एक भारतीय करोड़पति है । कुल अमीरों मे १० % अमीर भारतीय है ।
#अमेरिका मे रहने वाले कुल भारतीयों मे से 40% भारतीय के पास परास्नातक, डाक्टरेट या अन्य पेशेवर डिग्री है, जो कि अमेरिका के राष्ट्रीय स्तर से पाँच गुना अधिक है।
अमेरिका ही नही विश्व के कई देशों मे भी भारतीयों ने अपना परचम लहराया है।
है ना गर्व कि बात? केसरवानी समाज के भी सैकडों लोग विदेशों मे विभिन्न पेशे और पदों पर आसीन है । आशा है कि जल्द ही भारत एक महाशक्ति के रूप मे उभर कर आएगा।
Wednesday, October 22, 2008
कविता : तपिश ( Poem by Ravi Prakash Keshri)
रुबाब पर था
आसमान को
आग सा दहका रहा था !
दिहारी के लिए तैयार
हो रही बजंता
ने एक और फेंट
अपने सिर पर बांधी
ताकि सिर को
और सिर पर पड़े
बोझ को अच्छी तरह
से निभा सके !
सामने पड़े दुधमुहे
बच्चे की आवाज को
दरकिनार कर
निकल पड़ी मजदूरी पर
बिना तपिश की परवाह किए
क्योंकि पेट की तपिश
सूरज की तपिश से ज्यादा
होती है !
वाराणसी
Tuesday, October 21, 2008
छत्तीसगढ़ की पाँच दिवसीय दीपावली
दूसरे दिन कृष्ण चतुर्दशी होता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण नरकासुर का वध करके, उनकी क़ैद से हजारों राजकुमारियों को मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में उजाला किए थे। राजकुमारियों ने इस दिन दीपों की श्रृंख्ला जलाकर, अपने जीवन में खुशियों को समाहित किया था।
तीसरे दिन आता है दीपावली। दीपों का त्यौहार..... लक्ष्मी पूजन का त्यौहार। असत्य पर सत्य की, अन्धकार पर प्रकाश की, और अधर्म पर धर्म की विजय का त्यौहार है दीपावली। इस त्यौहार को मनाने के पीछे अनेक लोक मान्यताएं जुड़ी हुई है। भगवान् श्रीरामचंद्र जी के चौदह वर्ष बनवास काल की समाप्ति और अयोध्या आगमन पर उनके स्वागत में दीप जलाना, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस का इस दिन जन्म हुआ था और इसी दिन उन्होंने जल समाधि ली थी। अहिंसा की प्रतिमूर्ति और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी दिन निर्वाण किया था। सिख धर्म के प्रवर्तक श्री गुरुनानक देव जी का जन्म इसी दिन हुआ था। इस सत्पुरुषों के उच्च आदर्शों और अमृतवाणी से हमे सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इसी अमावास को भगवान् विष्णु जी ने धन की देवी लक्षी जी का वरण किया था। इसीलिए इस दिन सारा घर दीपों के प्रकाश से जगमगा उठता है। पटाखे और आतिशबाजी की गूँज उनके स्वागत में होती है। इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके प्रसन्न किया जाता है, और घर को श्री संपन्न करने की उनसे प्रार्थना की जाती है। :-
हे देवी ! सदय हो, शुभ वर दो !
प्रमुदित हो, सदा निवास करो
सुख संपत्ति से पूरित कर दो,
हे जननी ! पधारो भारत में
कटु कष्ट हरो, कल्याण करो
भर जावे कोषागार शीघ्र
दुर्भाग्य विवश जो है खाली
घर घर में जगमग दीप जले
आई है देखो दीपावली.... !
पाँचवे दिन आता है भाई दूज का पवित्र त्यौहार। यमराज के वरदान से बहन इस दिन अपने भाई का स्वागत करके मोक्ष की अधिकारी बनती है। पाँच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार को लोग बड़े धूमधाम और आत्मीय ढंग से मनाते है।
यह सच है की दीपावली के आगमन से खर्च में बढोत्तरी हो जाती है और पाँच दिन तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार के कारण आपका पाँच माह का बजट फेल हो जाता है। उचित तो यही होगा की आप इसे अपने बजट के अनुसार ही मनाएं । हर वर्ष आने वाला दीपावली अपने चक्र के अनुसार इस वर्ष भी आया है और भविष्य में भी आयेगा पर इससे घबराएँ नहीं और सादगीपूर्ण और सौहार्द के वातावरण में मनाएं । दूरदर्शिता से काम ले, इतनी फिजूलखर्ची ना करें की आपका दिवाला ही निकल जाए और ना ही इतनी कंजूसी करें की दीपावली का आनंद ही न मिल पाए..।
तिमिर सब मिट जाए
राघव- डागा कालोनी - चंपा, (छत्तीसगढ़)
कविता : कंदीलों से सजी गलियां
चमके हर आँगन घर द्वार
मन की खुशियाँ नभ से ऊँची
आया दीपों का त्यौहार
झिलमिल करती फुलझरियां
लम्बी लड़ी चटाई की
तरह तरह के बने पकवान
थाली भरी मिठाई की
पूजन करके भगवन का
आओ मिलके खुशी मनाये
जीवन की कारा मिट जाए
मन में ऐसा दीप जलाये
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
Monday, October 20, 2008
भारतीय संस्कृति की कुछ जानकारियाँ
चार वेद : ऋग्वेद, सामवेद, अर्थवेद, यजुर्वेद, ।
छः शास्त्र : वेदांग, सांख्य, योग, निरुक्त, व्याकरण, छंद ।
सात नदियाँ : गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु, कावेरी ।
अट्ठारह पुराण : गरुण पुराण, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, भविष्य पुराण, लिंग पुराण, पद्मा पुराण, बावन पुराण, कूर्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मत्स्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, कल्कि पुराण, अग्नि पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, वराह पुराण।
पंचामृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर ।
पाँच तत्व : पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि ।
तीन गुण : सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण ।
तीन दोष : वात, पित्त, कफ ।
तीन लोक : आकाश, पाताल, मृत्युलोक ।
सात सागर : क्षीर सागर, दुधी सागर, घृत सागर, पयान सागर, मधु सागर, मदिरा सागर, लहू सागर ।
सात द्वीप : जम्बू द्वीप, पलक्ष द्वीप, कुश द्वीप, शाल्माली द्वीप, क्रौंच द्वीप, शंकर द्वीप, पुष्कर ।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश ।
तीन जीव : जलचर, नभचर, थलचर ।
तीन वायु : शीतल, मंद, सुगंध ।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ।
चौदह भुवन : तल, अतल, वितल, सुतल, रसातल, पाताल, भुवलोक, भूलोक, स्वर्गलोक, मृत्युलोक, यमलोक, वरुण, सत्यलोक, ब्रह्मलोक ।
चार फल : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ।
चार क्षत्रु : काम, क्रोध, लोभ, मोह ।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास ।
चार धाम : जगन्नाथ, रामेश्वर, द्वारका, बद्रीनाथ ।
पंचगव्य : दूध, दही, घी, गोबर, यज्ञ
अष्ट धातु : सोना, चांदी, ताँबा, लोहा, शीशा, कांसा, रांगा, पीतल ।
पाँच देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, सूर्या।
चौदह रत्न : अमृत, ऐरावत, हाथी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, उच्चैश्रवा, घोड़ा, शंख, चंद्रमा, धनुष, कामधेनु, धन्वन्तरी वैद्य, रम्भा, अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी, वृष ।
नौ निधि : पक्ष, महापक्ष, शंख, मकर, कश्यप, कुकुंद, मुकुंद, नील, बर्च ।
नवधा भक्ति : श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदना, मित्र, दास्य, आत्मनिवेदन ।
निवेश और बीमे को अलग रखने मे ही समझदारी है
घर का कमाने वाला मुखिया जिसकी आय पर सारा परिवार आश्रित रहता है उसके लिए अपने जीवन का बीमा करना बहुत महत्पूर्ण और आवश्यक होता है । जीवन बीमा भविष्य मे बीमित व्यक्ति के ना होने पर परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है । इसके लिए विभिन्न बीमा कंपनियाँ तरह तरह के उत्पाद बनाती है जिसमे अलग अलग तरह के लोगों के लिए अलग विशेषताएं होती है। जैसे बच्चों के उज्जवल भविष्य की बीमा योजना, पेंशन योजना, आजीवन बीमा इत्यादी। निजी जीवन बीमा कम्पनियों के भारत मे प्रवेश के बाद से रोजाना नए नए बीमा उत्पाद बाज़ार मे आ रहे है। पर अधिकतर जीवन बीमा कम्पनियों ने अपनी सकल प्रीमियम आय को बढ़ाने के लिए बीमा और निवेश दोनों को मिला कर एक नया उत्पाद ' यूलिप' निकाल दिया है जिसमे बीमा की सुरक्षा के साथ प्रीमियम का हिस्सा चुने हुए फंड मे निवेश कर दिया जाता है।
यहाँ हम बात कर रहे है बीमे को निवेश से अलग रखने की। पर क्यों? इसके कई कारण है। सबसे पहली बात की बीमा का उद्द्येश्य बीमित व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना होता है न की बचत और निवेश को प्रोत्साहन करना। आजकल देखा गया है की यूलिप प्लान्स मे बीमा कम्पनियों को कुल प्रीमियम आय मे से सबसे ज़्यादा प्रीमियम प्राप्त हो रही है। जबकि युलिप प्लान मे निवेश का जोखिम स्वयं निवेशक का होता है । अधिकतर बीमा कंपनियाँ और उनके एजेंट यूलिप प्लान्स के तहत अत्यधिक उच्च रिटर्न दिखा रही थी और है। उदाहरण के लिए जीवन बीमा की मार्केट प्लस योजना, जिसमे एजेंटो ने बहुत बढ़ चढ़ कर अनाधिकृत रूप से रिटर्न का आश्वासन दिया था क्यूंकि उस समय भारतीय शेयर बाज़ार मे अच्छी बढ़त हो रही थी। पर आज स्तिथि बिल्कुल भिन्न है, शेयर मार्केट धराशायी हो गया है और ऐसे मे जिन लोगों ने यूलिप मे पैसा लगाया था उन्हें अच्छा खासा नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
दूसरे यूलिप प्लान्स मे बीमित व्यक्ति को प्रीमियम का न्यूनतम पाँच गुना और अधिकतम राशि प्लान और बीमे की रकम के हिसाब से होता है। यानी एक व्यक्ति अगर 10,000/- रूपये का वार्षिक प्रीमियम देता ही तो उसे न्यूनतम 50,000/- का बीमा मिलेगा। जबकि की सुरक्षा के लिए मियादी बीमा (जिसमे केवल सुरक्षा दी जाती है कोई लाभ नही) मे उसे इतने ही प्रीमियम मे कहीं ज़्यादा रूपये का बीमा मिल सकता है। जों बीमा की दृष्टि से ज़्यादा उचित है। क्योंकि लाख दो लाख रुपये का बीमा एक सामान्य कमाने वाले व्यक्ति के लिए काफ़ी कम है।
एक बात यूलिप मे मैंने और देखी है वह यह कि मुख्यतः mortality चार्जेस के अलावा उसमे कई तरह के खर्चे बिमा कम्पनी काट लेती है जो कि हर महीने काटा जाता है। कुल सालाना खर्च लगभग १५०० से २२०० रुपये तक (सालाना प्रीमियम यदि १०,०००/- हो ) होता है जो कि शुरू के तीन साल मे कटता ही है । इस तरह से देखे तो शुरू के तीन साल मे जो आप प्रीमियम देतें है उसमे से अधिकतर तो बीमा कंपनी काट लेती है जिसकी भरपाई ही कम से कम ५-६ साल मे होती है तो इस स्तिथि मे जहाँ आपको चौथे साल अगर पॉलिसी से पैसे निकालना चाहें तो आप अच्छे खासे नुक्सान मे रहेंगे। यूनिट लिंक पॉलिसी आप अगर ले तो कम से कम उसे १० से १५ साल अवश्य चलायें तभी आपको फंड से कुछ फायदा होने की उम्मीद होगी।
तो देखा आपने कि यूलिप लेना बीमा के उद्देश्य से कितना महंगा सौदा है? मेरी राय मे बीमा निवेश को अलग रखना ही समझदारी है। आप यदि ३५ वर्ष के है तो ५ लाख रुपये के मियादी बीमे के लिए आपको करीब ३५०० के आस पास देने होंगे जबकि यूलिप मे १ लाख के बीमे पर करीब १५०० कट जाते है तो अच्छा है कि आप मियादी बीमा ले और शेष (१०,०००-३५००=६५०० ) राशि को किसी दूसरे निवेश के विकल्प मे लगायें।
Sunday, October 19, 2008
रवि प्रकाश केशरी की कविता - शब्द
पढने के लिए
शब्द होते है
गढ़ने के लिए
शब्द सीमा में
बांधे नही जाते
शब्द होठो से कहे नही जाते
शब्द अभूझपहेली है
शब्द तेरी मेरी
सहेली है
वाराणसी
Saturday, October 18, 2008
रवि प्रकाश केशरी की कविता: "दूरियां "
फासले बड़े हो गए
वास्तव में हम
बड़े हो गए,
घट गई देह से
देह की दूरी
दिलो के रिश्ते
दूर हो गए,
आसमान की
खवाहिश में हम
अरमानो के लाशो
पर खड़े हो गए,
जिंदगी की
चाहत में हम
मौत के करीब
होते हो गए,
आधुनिकता के दौर में
सभ्यता हार गई
और हम
फिर नग्न हो गए,
वास्तव में हम बड़े हो गये !
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
Thursday, October 16, 2008
करवा चौथ: पति की लम्बी उम्र के लिए प्राचीन महत्वपूर्ण व्रत
यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन स्त्रियाँ निराजल व्रत रहकर अपने पति की दीर्घायु होने की कामना करती है स्त्रियाँ चावल का ऐपन पीसकर दीवार पर करवा चौथ बनाती हैं जिसे वर कहतें है। इस करवा चौथ में पति के अनेक रूप बनाये जाते हैं तथा सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी, बिछुआ, मेहँदी और महावर आदि के साथ साथ दूध देने वाली गाय, करुआ बेचने वाली कुम्हारी, महावर लगाने वाली नाउन चूड़ी पहनाने वाली मनिहारिन, सात भाई और इनकी इकलौती बहन सूर्य, चंद्रमा, गौरा, पार्वती आदि देवी देवताओं के भी चित्र बनाये जाते है। बहुत सी स्त्रियाँ सामूहिक रूप से एकत्र होकर भी पूजा करती है और एक दूसरे को करवा देती हैं। स्त्रियाँ पूजा करने के बात रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अपने व्रत को तोड़ती है।
उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षेत्रों मे करवा के एक दिन पूर्व सास अपनी बहू को 'सरगी' (सुहाग का समान कपड़े एवं मिठाई इत्यादी) देती है।
एक पति का अपनी पत्नी, बच्चे और परिवार की खुशहाली के लिए सुबह से शाम तक जुट कर काम करना और शाम को पत्नी का अपने पति के कंधे पर सर रखकर पति का स्नेह और प्रेम पाना एक सुखद एहसास देता है।
हिंदू धर्म मे जहाँ विवाह को एक पवित्र और सात जन्मो का बंधन माना गया है, वहीं पति और पत्नी के आजीवन एक दूसरे के साथ प्रेम, विश्वास और आपसी सहयोग के साथ जीने का वचन भी लिया जाता है। पत्नी पति की लम्बी उम्र के लिए कई तरह के व्रत और पूजन करती हैं। हिंदू धर्म मे छोटे छोटे व्रत और त्यौहार भरे पड़े है जो की पति पत्नी को एक सूत्र मे बाँधने मे मदद करतें है। इस कड़ी मे करवा चौथ एक महत्वपूर्ण व्रत का त्यौहार है।
Wednesday, October 15, 2008
केसरवानी युवा अंतरजातीय विवाह के पक्ष मै है?
कुछ वर्षों मे जैसे जैसे सूचना और संचार क्रांति आई है, वैश्वीकरण हुआ है, सबके हाँथ मे मोबाईल आया है किसी से भी संपर्क करना आसान हो गया है या तो फ़ोन के ज़रिये या फ़िर इन्टरनेट के माध्यम से। ऐसे मे मुझे लगता है आज के केसरवानी युवा खुल कर अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के पक्ष मे हैं । अगर अपनी जाती मनपसंद लड़की मिली तो ठीक वरना अंतरजातीय विवाह मे भी उन्हें कोई बुराई नही दिखाई देती है।
इस विषय पर कई प्रश्न उठ खड़े होते है जिसका जवाब केसरवानी समाज के लोगो को मिलजुल कर ढूंढ़ना होगा जैसे। आप निम्न प्रश्नों को के उत्तर ढूँढने की कोशिश कीजिये
- केसरवानी समाज लड़का और लड़की मे भेदभाव रखता है? यह देखा गया है की अधिकतर केसरवानी परिवार अपनी बेटी की शादी तो केसरवानी समाज मे ही करना चाहता है पर बेटे की शादी अंतरजातीय भी हो तो उन्हें ज़्यादा दिक्कत नही होती है ?
- केसरवानी समाज मे लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नही दी गई है जितनी की लड़को को?
- केसरवानी समाज अभी उतना संगठित और एकजुट नही है जितना की होना चाहिए। जिससे की वर वधु की तलाश आसान हो ?
- केसरवानी समाज मे नाम कमाने वाले शख्स बहुत है जैसे डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक अधिकारी, इत्यादी परन्तु महिलाये कितनी है? महिलाओं के पीछे रह जाने का क्या कारण है?
सोचिये और अपने विचार प्रकट करने से चुकियेगा नही... शायद आप के ही विचार से कोई हल निकल आए?
Monday, October 13, 2008
Matrimonial : Akshai Gupta
Gotra: Kashyap
Age : 30 years
Hight: 5' 11"
Qualification: Diploma in Electrical Engineering, Agra
Job: Loco Pilot in Indian Railways
Salary: 3 Lacs P.A.
Family Details:
Father: Jai Narain Gupta, Advocate
Mother: Mrs. Neelam Gupta- (Housewife)
Elder Sisters:
- Alka Gupta M.Sc. Maths- Married (Ambala)
- Akancha Kesarwani, M.A. Economics - Married (Lucknow)
Phone: 05278-220020
Mobile: 9452182586 (Sister-Akancha)
Update from Editor (25/01/2010): Akshai Gupta has been engaged with Monika Kesari of Kanpur. Kesarwani Magazine wishes both of them a very happy married and blisfull life. Please do not respond to this matrimonial. Ad. Thanks.
Sunday, October 12, 2008
प्रेरणादायक कुछ सदविचार
"जीवन एक नाटक है , यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते है।"
"आयु बढ़ने से या दुर्घटना से सुन्दरता नष्ट हो सकती है पर आत्मिक सुन्दरता कभी नष्ट नही होती है"
"आज समाज, राष्ट्र व् विश्व की सबसे जटिल समस्याओं का एकमात्र हल है चरित्र निर्माण । चरित्र बिगड़ जाने पर कोई प्रतिष्ठा बाकी नही रहती "
"जब आप क्रोधित होतें है तो आपकी सारी शक्ति नष्ट हो जाती है, अतः शक्ति का प्रयोग बुद्धिमता से करे।"
"यदि आप अकेले है तो आपका कोई महत्व नही, परन्तु यदि आप संगठन मे स्नेहशील, रमणीक, व सहयोगी होकर रहते हैं तो आप मूल्यवान है। "
"मीठा बोलने मे एक कौडी भी नही खर्च होती है फ़िर कंजूसी क्यों? सदा प्रेमयुक्त, मधुर, व सत्यवचन बोलें।"
"जो प्रेम किसी को क्षति पहुंचाए वह प्रेम है ही नहीं।"
"अपने क्षत्रु से छुटकारा पाने का सबसे सरल उपाय यह है की उन्हें अपना मित्र बना लीजिये।"
"जब प्रगति होती है तो परिवर्तन स्वभाविक है। यदि आप परिवर्तन से डरते हैं तो उन्नति कैसे हो सकती है?"
Friday, October 10, 2008
केसरवानी समाज की पहली अपनी ऑनलाइन पत्रिका
किसी भी समाज की उन्नति व्यक्तिगत नही होती बल्कि सामूहिक होती है। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति उन्नति करेगा तो ही सम्पूर्ण रूप से वह समाज उन्नत कहलायेगा। आज भी केसरवानी समाज में बहुत से लोग है जो आर्थिक या सामाजिक रूप से पिछडे हुए है। यदि हम अपने समाज को गौरवपूर्ण बनाना चाहते है तो समाज के सभी लोगों को अपने दूसरे बंधुओं की उन्नति के लिए यथासंभव प्रयास करना चाहिए। मैंने पाया है की केसरवानी समाज में बहुत से लोग थे और है जिन्होंने नाम और शोहरत कमाई है और केसरवानी समाज का नाम रोशन किया है। बहुत से केसरवानी बंधू भारत ही नही बल्कि विदेशो में भी जाकर समाज का नाम रोशन कर रहे है।
तो मै बात कर रहा था समाज की उन्नति की... आज भी दूर दराज के गाँव और शहरों में केसरवानी समाज के लोग है जो की प्रतिभाशाली है, चाहे पढने लिखने में हो, खेल कूद में हो या किसी अन्य विधा में । मैंने देखा है कई लोगो को जिनमे लिखने की अच्छी क्षमता है , जिनकी लेखनी में दम है पर उन्हें आगे बढ़ने का सुअवसर नही मिल पाता है या प्रोत्साहन नही मिल पाता है। ऐसे ही हमारे समाज में बहुत सी महिलाएं और बच्चे भी है जो काफ़ी प्रतिभाशाली है। यह ऑनलाइन केसरवानी समाज की पत्रिका को शुरू करने का यही उद्दयेश है की जो लोग अपने ज्ञान , कला , कहानी लेखन , फोटोग्राफी आदि में निपुण है उन्हें अपनी पहचान बनने के लिए यह पत्रिका एक मंच देगा। केसरवानी समाज का कोई भी व्यक्ति उपने स्वयं लिखे हुए मूल लेख को अपने नाम और पते के साथ यहाँ पर निःशुल्क छपवा सकता है।
पर जैसा मैंने पहले कहा की समाज में उन्नति के लिए भी सहयोग की ज़रूरत होती है। अब किसी को क्या पता की केसरवानी समाज की कोई ऑनलाइन पत्रिका है। यहाँ पर अन्य केसरवानी बंधुओं का रोल आ जाता है। हर केसरवानी बंधू अपने परिवार, रिश्तेदार को इस बात को बताना होगा की वे अपने लेख को केसरवानी समाज की ऑनलाइन पत्रिका में छपवा सकते है। जो लोग इन्टरनेट का प्रयोग नही करते है उनके लिए भी मैंने उपाय खोज लिया ही। लेख, कहानी, विचार, ज्वलंत समस्याएँ, आदि को डाक के माध्यम से मुझे प्रेषित कर सकते है जिसे मै उनके नाम के साथ इस पत्रिका में छाप दूँगा। है न सरल?
इस पत्रिका में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में लेख छापे जा सकते है। यदि फोटो भी छपवाना चाहते हो तो उसका तरीका भी मै आपको आगे बताऊंगा। लेख भेजने के दो तरीके है। डाक से या ईमेल के जरिये ।
जब मै हाई स्कूल में पढता था तो मैंने भी शौकिया कुछ कविताएँ लिखी थी और उस समय काफ़ी जोश था। उसे छपवाने के लिए मैंने एक दो अखबार में भी भेजा और केसरवानी समाज की निशांत पत्रिका में छपवाने के लिए स्वर्गीय श्री सोहन लाल वैश्य जी से भी संपर्क किया पर स्थानाभाव के कारण कभी मेरी कविता नही छप सकी और मेरा शौक वही ख़त्म हो गया । पर मै वादा करता हूँ की अब ऐसा किसी के साथ नही होगा । अब हर कोई अपने लेख को यहाँ पर छपवा सकता है शर्त सिर्फ़ इतनी है की लेख मूल रूप से स्वयं लिखा होना चाहिए कही से चुराया हुआ नही। यह भी ध्यान रहे की लेख के छपने का कोई पारिश्रमिक या मान्यदेय देय नही है
इस केसरवानी पत्रिका के फायदे देखिये...
१ कोई सदस्यता शुल्क नही जैसा की केसरवानी समाज की अन्य पत्रिकाओं के लिए देना पड़ता है।
२ अनगिनत पाठक। यह पत्रिका ऑनलाइन है जिसे देश ही नही दुनिया का कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर या प्रदेश के स्तर पर कुछ केसरवानी समाज की पत्रिकाएं हैं जो सीमित संख्या में छपती है शायद १००० या १५०० । यानि की केवल १००० या १५०० सौ परिवार तक ही पहुँच सकती है। दूसरे पत्रिका को छपने की लागत को पूरा करने के लिए ६० प्रष्ट की पत्रिका मे दो तिहाई प्रष्ठ विज्ञापन मे निकल जाते है तो लेख प्रकाशित करने की शायद जगह ही नही बचती है। (आप स्वयं पत्रिका उठा कर देख ले)
३. पढ़ना आसान : इसे कोई भी कही भी कभी भी पढ़ सकता है, अब तो मोबाइल पर भी वेबसाइट्स पढ़े जा सकते है। यदि मिनी ऑपेरा ब्राउजर और GPRS युक्त मोबाइल है तो इस पत्रिका को आसानी से पढ़ा जा सकता है।
४ इस पत्रिका में मै केसरवानी समाज के प्रतिष्ठित लोगों को भी लिखने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ जिससे के की समाज के अन्य लोग भी लाभान्वित हो।
५ छोटे शहर के लोग भी डाक के माद्यम से अपनी रचनाएँ भेज सकते है।
६ इस पत्रिका के मध्यम से केसरवानी समाज के लोगों में एकता बढेगी, एक दूसरे को जानने का मौका मिलेगा और ज्ञनार्जन होगा जो केसरवानी समाज की उन्नति में सहायक होगा ।
७ हिन्दी और अंग्रजी दोना भाषा मै लेख छपवाने का अवसर।
मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है की मेरा केसरवानी समाज की एकता और भाईचारा बढ़ाने का यह सपना साकार होगा और मुझे हर्ष होगा की मै जिस केसरवानी समाज में पैदा हुआ हु उस समाज के लिए छोटा सा ही सही कोई कदम तो उठाया। बस आप सब लोगों का आशीर्वाद और सहयोग ही मेरे इस कदम को आगे बढ़ाएगा और मंजिल तक पहुचायेगा। धन्यवाद । फ़िर मुलाकात होगी यही पर...
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