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श्री गणेशाय नमः


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Thursday, December 11, 2008

श्री केसरवानी वैश्य सभा लखनऊ कि वर्तमान कार्यकारणी

श्री केसरवानी वैश्य सभा, लखनऊ की वर्तमान कार्यकारणी
कार्यालय :- ४१/५७१, लाला हीरा लाल केसरवानी धर्मशाला, नरही, लखनऊ

सभापति
श्री घनश्याम केसरवानी, सदर, लखनऊ

उपसभापति
श्री शेष कुमार सर्राफ, आलमबाग, लखनऊ
श्री पुष्कर केसरवानी,सर्राफ, लखनऊ
श्री पवन कुमार केसरवानी सर्राफ
श्री मुकेश केसरवानी

मंत्री
श्री मंसूरी लाल केसरवानी

सहमंत्री
अमर नाथ केसरवानी, (पानीघर), सदर

कोषाध्यक्ष एवं संगठन मंत्री
प्रकाश वैश्य

प्रचार मंत्री
दयाशंकर गुप्ता

संपादक 'निशांत' पत्रिका
रामचंद्र गुप्ता

धर्मशाला मंत्री
सुनील कुमार केसरवानी

आय व्यय निरीक्षक
जवाहर लाल केसरवानी

Friday, October 10, 2008

केसरवानी समाज की पहली अपनी ऑनलाइन पत्रिका

आज विजयादशमी का शुभ अवसर है। आज मुझे बहुत हर्ष हो रहा है इस ऑनलाइन पत्रिका का शुभारम्भ करते हुए। केसरवानी समाज की इस ऑनलाइन पत्रिका को शुरू करने का विचार मैंने काफ़ी पहले बनाया था पर उसे मूर्त रूप देने मेंकुछ समय लग गया। देर सही पर दुरुस्त आए। मुझे इस ऑनलाइन पत्रिका की डिजाईन, शीर्षक, और उसके भविष्य की योजना बनाने में भी समय लगा।

किसी भी समाज की उन्नति व्यक्तिगत नही होती बल्कि सामूहिक होती है। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति उन्नति करेगा तो ही सम्पूर्ण रूप से वह समाज उन्नत कहलायेगा। आज भी केसरवानी समाज में बहुत से लोग है जो आर्थिक या सामाजिक रूप से पिछडे हुए है। यदि हम अपने समाज को गौरवपूर्ण बनाना चाहते है तो समाज के सभी लोगों को अपने दूसरे बंधुओं की उन्नति के लिए यथासंभव प्रयास करना चाहिए। मैंने पाया है की केसरवानी समाज में बहुत से लोग थे और है जिन्होंने नाम और शोहरत कमाई है और केसरवानी समाज का नाम रोशन किया है। बहुत से केसरवानी बंधू भारत ही नही बल्कि विदेशो में भी जाकर समाज का नाम रोशन कर रहे है।

तो मै बात कर रहा था समाज की उन्नति की... आज भी दूर दराज के गाँव और शहरों में केसरवानी समाज के लोग है जो की प्रतिभाशाली है, चाहे पढने लिखने में हो, खेल कूद में हो या किसी अन्य विधा में । मैंने देखा है कई लोगो को जिनमे लिखने की अच्छी क्षमता है , जिनकी लेखनी में दम है पर उन्हें आगे बढ़ने का सुअवसर नही मिल पाता है या प्रोत्साहन नही मिल पाता है। ऐसे ही हमारे समाज में बहुत सी महिलाएं और बच्चे भी है जो काफ़ी प्रतिभाशाली है। यह ऑनलाइन केसरवानी समाज की पत्रिका को शुरू करने का यही उद्दयेश है की जो लोग अपने ज्ञान , कला , कहानी लेखन , फोटोग्राफी आदि में निपुण है उन्हें अपनी पहचान बनने के लिए यह पत्रिका एक मंच देगा। केसरवानी समाज का कोई भी व्यक्ति उपने स्वयं लिखे हुए मूल लेख को अपने नाम और पते के साथ यहाँ पर निःशुल्क छपवा सकता है।

पर जैसा मैंने पहले कहा की समाज में उन्नति के लिए भी सहयोग की ज़रूरत होती है। अब किसी को क्या पता की केसरवानी समाज की कोई ऑनलाइन पत्रिका है। यहाँ पर अन्य केसरवानी बंधुओं का रोल आ जाता है। हर केसरवानी बंधू अपने परिवार, रिश्तेदार को इस बात को बताना होगा की वे अपने लेख को केसरवानी समाज की ऑनलाइन पत्रिका में छपवा सकते है। जो लोग इन्टरनेट का प्रयोग नही करते है उनके लिए भी मैंने उपाय खोज लिया ही। लेख, कहानी, विचार, ज्वलंत समस्याएँ, आदि को डाक के माध्यम से मुझे प्रेषित कर सकते है जिसे मै उनके नाम के साथ इस पत्रिका में छाप दूँगा। है न सरल?

इस पत्रिका में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में लेख छापे जा सकते है। यदि फोटो भी छपवाना चाहते हो तो उसका तरीका भी मै आपको आगे बताऊंगा। लेख भेजने के दो तरीके है। डाक से या ईमेल के जरिये ।

जब मै हाई स्कूल में पढता था तो मैंने भी शौकिया कुछ कविताएँ लिखी थी और उस समय काफ़ी जोश था। उसे छपवाने के लिए मैंने एक दो अखबार में भी भेजा और केसरवानी समाज की निशांत पत्रिका में छपवाने के लिए स्वर्गीय श्री सोहन लाल वैश्य जी से भी संपर्क किया पर स्थानाभाव के कारण कभी मेरी कविता नही छप सकी और मेरा शौक वही ख़त्म हो गया । पर मै वादा करता हूँ की अब ऐसा किसी के साथ नही होगा । अब हर कोई अपने लेख को यहाँ पर छपवा सकता है शर्त सिर्फ़ इतनी है की लेख मूल रूप से स्वयं लिखा होना चाहिए कही से चुराया हुआ नही। यह भी ध्यान रहे की लेख के छपने का कोई पारिश्रमिक या मान्यदेय देय नही है

इस केसरवानी पत्रिका के फायदे देखिये...

१ कोई सदस्यता शुल्क नही जैसा की केसरवानी समाज की अन्य पत्रिकाओं के लिए देना पड़ता है।

२ अनगिनत पाठक। यह पत्रिका ऑनलाइन है जिसे देश ही नही दुनिया का कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर या प्रदेश के स्तर पर कुछ केसरवानी समाज की पत्रिकाएं हैं जो सीमित संख्या में छपती है शायद १००० या १५०० । यानि की केवल १००० या १५०० सौ परिवार तक ही पहुँच सकती है। दूसरे पत्रिका को छपने की लागत को पूरा करने के लिए ६० प्रष्ट की पत्रिका मे दो तिहाई प्रष्ठ विज्ञापन मे निकल जाते है तो लेख प्रकाशित करने की शायद जगह ही नही बचती है। (आप स्वयं पत्रिका उठा कर देख ले)

३. पढ़ना आसान : इसे कोई भी कही भी कभी भी पढ़ सकता है, अब तो मोबाइल पर भी वेबसाइट्स पढ़े जा सकते है। यदि मिनी ऑपेरा ब्राउजर और GPRS युक्त मोबाइल है तो इस पत्रिका को आसानी से पढ़ा जा सकता है।


४ इस पत्रिका में मै केसरवानी समाज के प्रतिष्ठित लोगों को भी लिखने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ जिससे के की समाज के अन्य लोग भी लाभान्वित हो।

५ छोटे शहर के लोग भी डाक के माद्यम से अपनी रचनाएँ भेज सकते है।

६ इस पत्रिका के मध्यम से केसरवानी समाज के लोगों में एकता बढेगी, एक दूसरे को जानने का मौका मिलेगा और ज्ञनार्जन होगा जो केसरवानी समाज की उन्नति में सहायक होगा ।

७ हिन्दी और अंग्रजी दोना भाषा मै लेख छपवाने का अवसर।

मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है की मेरा केसरवानी समाज की एकता और भाईचारा बढ़ाने का यह सपना साकार होगा और मुझे हर्ष होगा की मै जिस केसरवानी समाज में पैदा हुआ हु उस समाज के लिए छोटा सा ही सही कोई कदम तो उठाया। बस आप सब लोगों का आशीर्वाद और सहयोग ही मेरे इस कदम को आगे बढ़ाएगा और मंजिल तक पहुचायेगा। धन्यवाद । फ़िर मुलाकात होगी यही पर...

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