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श्री गणेशाय नमः


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Saturday, July 11, 2009

भगवान् की प्रतिज्ञा

मेरा बेटा अब स्कूल जाने लगा है... जुलाई में स्कूल खुल गए है... अभी कल ही मै अपने बेटे के लिए स्टेशनरी खरीद कर लायीएक कापी के पिछले प्रष्ट पर कुछ मैंने छपा हुआ पाया जो मुझे काफ़ी अच्छा लगामैंने सोचा क्यूँ उसे सारी दुनिया को पढाऊँतो ये रहा जो कापी में छापा था...

भगवान् की प्रतिज्ञा

मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख,
तेरे सब मार्ग खोल दूँ तो कहना

मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख,
कृपा बरसे तो कहना

मेरी बातें लोगों से करके तो देख,
तुझे मूल्यवान बना दूँ तो कहना

मेरे चरित्र का मनन कर के तो देख,
तुझे मूल्यवान बना दूँ तो कहना

मुझे अपना मददगार बना कर तो देख,
तुझे सबकी गुलामी से छुडा दूँ तो कहना

मेरे लिए आंसू बहा कर तो देख,
तेरे जीवन में आनंद के सागर भर दूँ तो कहना

मेरे लिए कुछ बनकर तो देख,
तुझे कीमती बना दूँ तो कहना

स्वयं को न्योछावर कर के तो देख,
तुझे मशहूर करा दूँ तो कहना

तू मेरा बनकर तो देख,
हर एक को तेरा बना दूँ तो कहना

कैसा लगा अवश्य बताईयेगा.....

Wednesday, October 15, 2008

केसरवानी युवा अंतरजातीय विवाह के पक्ष मै है?

सोशल नेट्वर्किंग साईट ऑरकुट मै मैंने एक Poll देखा मुझे काफ़ी हैरत हुई। प्रश्न था : Do you favor intercaste marriages? ( क्या आप अंतरजातीय विवाह के पक्ष मै है?) उत्तर के लिए दो विकल्प दिए थे । १. हाँ २. न । यह जान कर की 27 वोट में से 24 वोट अंतरजातीय विवाह के पक्ष मे थे यानि ८८ प्रतिशत केसरवानी युवा अपनी ही जाती की लड़की को विवाह के लिए उपयुक्त नही समझते, मुझे काफ़ी हैरत हुई । २०-३०% युवा ऐसा सोचते तो समझ मे आता पर 88 % ?? अब आप ही सोचिये ऐसा क्यों?

कुछ वर्षों मे जैसे जैसे सूचना और संचार क्रांति आई है, वैश्वीकरण हुआ है, सबके हाँथ मे मोबाईल आया है किसी से भी संपर्क करना आसान हो गया है या तो फ़ोन के ज़रिये या फ़िर इन्टरनेट के माध्यम से। ऐसे मे मुझे लगता है आज के केसरवानी युवा खुल कर अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के पक्ष मे हैं । अगर अपनी जाती मनपसंद लड़की मिली तो ठीक वरना अंतरजातीय विवाह मे भी उन्हें कोई बुराई नही दिखाई देती है।

इस विषय पर कई प्रश्न उठ खड़े होते है जिसका जवाब केसरवानी समाज के लोगो को मिलजुल कर ढूंढ़ना होगा जैसे। आप निम्न प्रश्नों को के उत्तर ढूँढने की कोशिश कीजिये
  • केसरवानी समाज लड़का और लड़की मे भेदभाव रखता है? यह देखा गया है की अधिकतर केसरवानी परिवार अपनी बेटी की शादी तो केसरवानी समाज मे ही करना चाहता है पर बेटे की शादी अंतरजातीय भी हो तो उन्हें ज़्यादा दिक्कत नही होती है ?
  • केसरवानी समाज मे लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नही दी गई है जितनी की लड़को को?
  • केसरवानी समाज अभी उतना संगठित और एकजुट नही है जितना की होना चाहिए। जिससे की वर वधु की तलाश आसान हो ?
  • केसरवानी समाज मे नाम कमाने वाले शख्स बहुत है जैसे डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक अधिकारी, इत्यादी परन्तु महिलाये कितनी है? महिलाओं के पीछे रह जाने का क्या कारण है?
ऐसे ही कई प्रश्न उठ खड़े होते है, जिनका उत्तर और समाधान ढूंढ़ना ज़रूरी है। क्या हमारे समाज मे संस्कारी, कुशल, समझदार, पढ़ी लिखी और विकासुन्मुख लड़कियों की कमी है जिसकी वजह से अंतरजातीय विवाह युवाओं मे लोकप्रिय हो रहा है?

सोचिये और अपने विचार प्रकट करने से चुकियेगा नही... शायद आप के ही विचार से कोई हल निकल आए?

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