भारत के अलग अलग प्रान्तों मे होली खेलने के अलग अलग ढंग है। ब्रज कि जहाँ लट्ठमार होली प्रसिद्ध है तो कहीं फूलों कि होली। कहीं कहीं तो सप्ताह भर तक होली खेली जाती है। पर सबका एक ही मकसद, भूल जाए सारे भेदभाव और डूब जाए मस्ती और प्रेम के रंग मे।
होली मस्ती से वैसे तो चूकना नही चाहिए पर होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां अगर बरत ली जायें तो त्वचा और कत्रिम रंगों से होने वाले नुक्सान से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है। एक समय था जब टेसू के फूल से रंग बनाये जाते है पर आजकल तो कत्रिम रंगों का ही बोलबाला है। ऐसे मे सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है।
कत्रिम रंगों मे कई तरह के रासायनिक और विषैले पदार्थ मिले होते है जो त्वचा, नाखून व नाक मुंह से शरीर मे प्रवेश कर जाते है जो हानिकारक होतें है। होली ज़रूर खेले पर निम्न बातों का भी ध्यान रखें तो होली कि मस्ती और बढ़ जायेगी-
- जहाँ तक हो सके तो केवल प्राकृतिक और शुद्ध रंगों का ही इस्तेमाल करें
- होली खेलने से पहले शरीर मे अच्छी तरह से तेल या वैसलीन लगा ले जिससे विषैले तत्व शरीर मे प्रवेश न कर सकें।
- ऐसे कपड़े पहन कर होली खेले जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे।
- महिलाएं अपने नाखूनों पर नेल पोलिश लगा ले तो नाकों सुरक्षित रहेंगे।
- बालों पर भी अच्छी तरह से तेल लगा लेना चाहिए और हो सके तो टोपी का इस्तेमाल करे जिससे बाल बचे रहे।
- होली खेलने के बाद रंग छुडाने के लिए मिटटी का तेल या पेट्रोल जैसे पदार्थ का प्रयोग न करें।
- रंगों को छुडाने के लिए त्वचा को घिसना नही चाहिए इससे त्वचा मे जलन होगी।
- अपनी आखों का विशेष ध्यान रखें। आंखों को रंग, गुलाल, अबीर आदि से बचाएँ। यदि कुछ रंग आँख मे चला जाए तो तुंरत पानी से धो ले।
- यदि रंग ना छूट रहें हो तो बेसन के उबटन से उसे छुडाना चाहिए।
- रंग खेलने के बाद त्वचा रूखी हो जाती है अतः उसे तारो ताज़ा करने के लिए बेसन या मलाई का पेस्ट बना कर लगायें ।
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