प्रस्तुत है रवि केशरी जी कि कविता होली के सन्दर्भ मे-
रंग फुहारों से हर ओर
भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से
थिरक रहा हर मानव मन !
लाल गुलाबी नीली पीली
खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर
बजे उमंगों की शहनाई !
गुझिया पापड़ पकवानों के
घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते
मन में खुशियों के फूल खिले !
रंग बिरंगी दुनिया में
हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता
रंगों का यह मंगलगान !
पिचकारी के बौछारों से
चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी
दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
- रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
1 comment:
Thanks Ravi jee for your Holi geet. I have enjoyed it. Keep on writing good songs. - Yogendra Keshary
dnbypk@gmail.com
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