प्रकृति की सुन्दरता देखो
बिखरी चारों ओर है
कहीं पर पीपल कहीं अशोक
कहीं पर बरगद घोर है
लाल गुलाब से सुर्ख है
देखो धरती के दोनों गाल
लिली मोगरा और चमेली
मचा रहे है धमाल
देखो हिम से भरा हिमालय
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी
कल कल करती बहती देखो
गंगा यमुना की निर्मल सोती
प्रकृति ने हम सबको दिया
जीवन का अनुपम संदेश
आओ मिटाए मन की दूरी
दूर हटाये कष्ट कलेश !
बिखरी चारों ओर है
कहीं पर पीपल कहीं अशोक
कहीं पर बरगद घोर है
लाल गुलाब से सुर्ख है
देखो धरती के दोनों गाल
लिली मोगरा और चमेली
मचा रहे है धमाल
देखो हिम से भरा हिमालय
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी
कल कल करती बहती देखो
गंगा यमुना की निर्मल सोती
प्रकृति ने हम सबको दिया
जीवन का अनुपम संदेश
आओ मिटाए मन की दूरी
दूर हटाये कष्ट कलेश !
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
वाराणसी
17 comments:
बढिया!!
theek hi hai!!
sia - very nice
good 1
bahut aachi hai ossam !!!!!!!
nice poem....:)
very very good poem
kya baat hai yaar
kya baat hai!
very ossam!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
very nice and beautiful!!........
is poem se aaj mere full marks aaye.
nice poem ..........
दमदार कविता है
gud 1
THE BEST ONE
kammal h
thanxxxxxxxxx.....!!! it helped me a lot.....
chalega par aur thoda accha hona chiea tha
NICE CAN DO BETTER
thanks this poem help me to won my hindi poem comp................!!!!!!!!!!!
Post a Comment