आज कुछ नया सा है
बाजुए फड़क रहीं हैं
माहौल बदला सा है
फिजायें महक रही हैं
आसमान अब तो देखो
कदमों तले पड़ा है
कल जिसकी पाने की न हस्ती थी
आज हासिल होने पर अडा पड़ा है
खामोश जुबान से अब
प्रवाह शब्दों का हो रहा है
अंधेरे की कारा के बाद
सूरज फिर से दमक रहा है
नजर बदल गई है
नजरिया बदल गया है
जो आँखें झुकीं थी अब तक
उनमें आसमान का ख्वाब आ गया है !
बाजुए फड़क रहीं हैं
माहौल बदला सा है
फिजायें महक रही हैं
आसमान अब तो देखो
कदमों तले पड़ा है
कल जिसकी पाने की न हस्ती थी
आज हासिल होने पर अडा पड़ा है
खामोश जुबान से अब
प्रवाह शब्दों का हो रहा है
अंधेरे की कारा के बाद
सूरज फिर से दमक रहा है
नजर बदल गई है
नजरिया बदल गया है
जो आँखें झुकीं थी अब तक
उनमें आसमान का ख्वाब आ गया है !
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
वाराणसी
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