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श्री गणेशाय नमः


Saturday, November 29, 2008

विदाई गीत: माता पिता और परिवार के हृदयोदगार

विदाई कि घड़ी है , बेटी विदा हो रही है, जा रही है अपने पिया के घर। उसका घर आँगन अब पराया हो रहा है। सबकी आंखों में आँसू है। ऐसे विदाई के अवसर पर बेटी के परिवार के हृदयोदगार निम्न पंक्तियों मै देखें :-

प्यारी बहन सौंपती हूँ मै अपना तुम्हे खजाना
है जिस पर अधिकार तुम्हारे बेटे का मन माना
मांस और हड्डी तन मेरा है यह बेटी प्यारी।
करो इसे स्वीकार हुई, यह सब भाँती तुम्हारी

पूजे कई देवता हमने तब इसको है पाया।
प्राण समान पाल कर इसको इतना बड़ा बनाया॥
आत्मा है यह आज हमारी हमसे बिछड़ रही है
समझती हूँ तो भी जी को भरता धीर नहीं है॥

बहन ढिठाई माता की, तुम मन में नेक धरियो।
इस कोमल बिरवा कि रक्षा बड़े चाव से करियो॥
है यह नम्र मेमने से भी भीरु मृग से भी बढ़कर।
बड़ी बात अरु चितवन से यह काँप जाती है थर थर

इसकी मंद हंसी से मेरा मन अति सुख पाता था
कठिन घाव भी दुःख का जिससे अच्छा हो जाता था
बहिन तुम्हें भी यह सब बातें जान पड़ेंगी आगे।
अपने नयन रखोगे इस पर जब तुम नित्य अनुरागे

मात पिताओं बुआ लाडली भैया कि अति प्यारी
बुआ और बहनों स्वजनों की हर दम फब्ती प्यारी
इसकी स्नेह भरी चितवन से श्रद्धा श्रोत्र बहाते
इसकी प्रेम भरी वाणी से गदगद स्नेह नहाते

मात-पिता भाई बहनों कि इतनी ही है बिनती
अपने बेटे में तुम करियो इस बेटी कि गिनती
आशा ही है नही किंतु मन धीरज धार रहा है
लख कर इसको विमुख आँख से अंसुवन धार बहा है

प्रस्तुति : आकांक्षा केसरवानी, लखनऊ

3 comments:

Himanshu Pandey said...

माता-पिता के स्वाभाविक उद्गार . धन्यवाद.

ravi shankar said...

hello,

it is very nice poem.thanks for creation.
-ravi paraksh keshari

shyam keshari said...

kya kavitaon se samaaj ko badala ja sakta hai?
yadi aisa hota to aaj samaaj badal chuka hota, isliye bhehtar hai ki apani urja ka sadupyog karen taaki samaaj ko ek behtar disha di ja sake...
shyam keshari
Cell: 09889853444

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