होली के रंग
मेरी ख्वाहिश है होली के कुछ रंग चुराने की
होली के उन रंगों में से
जो आसमान ही नहीं
दिलों को भी रंग देतें है
मगर कुछ पलों के लिए
मैं उन रंगों से रंगूंगा
उस सुहागिन की मांग को
जो बंजर हो गए है
सूखे की तरह
मैं उन रंगों से रंगूंगा
जीवन से निराश हुए
लोगों के दिलों को
जो केवल नाउम्मीदी को पाले बैठे है
मैं उन रंगों से रंगूंगा
उन युवाओं के सपनों को
जो हताश भरी निगाहों से
हर दफ्तर में दस्तक देते है
और मैं उन रंगों से रंगूंगा
उन बूढी आँखों को
जो अपनों के ठुकराएँ है
और मौत की राह जोहते है
मेरी ख्वाहिश है होली के कुछ रंग चुराने की
लेखक : रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी होली
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