कविता : नया साल
नए साल में चली है देखो
देखो चली इक नयी बयार,
नए साल में नयी सौगातें
लेके आया ख़ुशी अपार!
कुमकुम अक्षत रोली से
कर लो तुम इसका सिंगार,
होंगी सब आशाएं पूरी
लेगा करवट जीवन इकबार!
मन उल्लासित तन है पुलकित
जग में छाया एक खुमार,
नयी सुबह है नए साल में
छाई देखो ख़ुशी अपार!
लेखक : रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
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