कविता :
बचपन का देखो कैसा मज़ा... २
हम दांतों मे मंजन करतें है...
हम साबुन से हाथ मुंह धोते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम बालों मे कंघी करतें है...
हम साफ़ साफ़ कपड़े पहनते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम दूध मलाई खातें है ...
हम रोटी खूब चबातें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम चूहा बिल्ली खेलते है...
हम चूं चूं म्याऊँ म्याऊं करतें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...२
आपके पास भी यदि कोई कविता हों तो यहाँ पर अवश्य बाटिये ...नमस्कार
आपका विवेक
हम दांतों मे मंजन करतें है...
हम साबुन से हाथ मुंह धोते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम बालों मे कंघी करतें है...
हम साफ़ साफ़ कपड़े पहनते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम दूध मलाई खातें है ...
हम रोटी खूब चबातें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2
हम चूहा बिल्ली खेलते है...
हम चूं चूं म्याऊँ म्याऊं करतें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...२
आपके पास भी यदि कोई कविता हों तो यहाँ पर अवश्य बाटिये ...नमस्कार
आपका विवेक
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