जी हाँ करीब दो करोड़ साठ लाख भारतीय यूरोप, एशिया, और अफ्रीका के विभिन्न देशों मे रह रहे है, और अपने बुद्धि और कुशलता से वहा कि अर्थव्यवस्था मे अपना योगदान दे रहें है। भारत के कुशल और बुद्धिमान व्यक्तियों ने विदेशो मे भारत का खूब नाम रोशन किया है। इक्कीसवीं सदी मे पूरे विश्व कि निगाह भारत पर है । आईये देखे भारतीयों कि जनसँख्या विदेशों मे :-
39,50,000 भारतीय एशिया मे है
47,00,000 भारतीय यूरोप मे व्
6,00,000 भारतीय अफ्रीका मे है ।
विभिन्न देशों मे भारतीयों कि संख्या इस प्रकार है :
अमेरिका : 19 लाख
आस्ट्रेलिया : 2 लाख 30 हज़ार
ब्रिटेन : 1 लाख 60 हज़ार
जर्मनी : 80 हज़ार
फ्रांस : 75 हज़ार
इटली : 71 हज़ार
रूस : 16 हज़ार
#अमेरिका मे कुल आबादी मे से सिर्फ़ ३ % आबादी भारतियों कि है लेकिन अमेरिका कि अर्थव्यवस्था और विकास मे करीब ५०% योगदान भारतियों का है ।
#अमेरिका मे 38% डाक्टर भारतीय मूल के है।
#36% भारतीय वैज्ञानिक नासा मे है।
#आई टी के क्षेत्र मे 12% वैज्ञानिक भारतीय है।
#अमेरिका कि कुल समूह जातियों मे भारतीयों मे सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता है। कुल भारतीयों मे 67% भारतीयों के पास स्नातक या उससे उच्च डिग्री है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतिशत सिर्फ़ 28% है।
#अमेरिका के कुल होटलों मे से ३५% भारतीयों मालिक के है और सस्ते लौज मे ५०% भारतीयों के है । जिसकी कुल बाजार लागत करीब ४० अरब डालर है।
#अमेरिका के हर दस मे से एक भारतीय करोड़पति है । कुल अमीरों मे १० % अमीर भारतीय है ।
#अमेरिका मे रहने वाले कुल भारतीयों मे से 40% भारतीय के पास परास्नातक, डाक्टरेट या अन्य पेशेवर डिग्री है, जो कि अमेरिका के राष्ट्रीय स्तर से पाँच गुना अधिक है।
अमेरिका ही नही विश्व के कई देशों मे भी भारतीयों ने अपना परचम लहराया है।
है ना गर्व कि बात? केसरवानी समाज के भी सैकडों लोग विदेशों मे विभिन्न पेशे और पदों पर आसीन है । आशा है कि जल्द ही भारत एक महाशक्ति के रूप मे उभर कर आएगा।
श्री गणेशाय नमः
Saturday, October 25, 2008
दो करोड़ साठ लाख भारतीय विदेशों मे
Wednesday, October 22, 2008
कविता : तपिश ( Poem by Ravi Prakash Keshri)
आज सूरज अपने
रुबाब पर था
आसमान को
आग सा दहका रहा था !
दिहारी के लिए तैयार
हो रही बजंता
ने एक और फेंट
अपने सिर पर बांधी
ताकि सिर को
और सिर पर पड़े
बोझ को अच्छी तरह
से निभा सके !
सामने पड़े दुधमुहे
बच्चे की आवाज को
दरकिनार कर
निकल पड़ी मजदूरी पर
बिना तपिश की परवाह किए
क्योंकि पेट की तपिश
सूरज की तपिश से ज्यादा
होती है !
रुबाब पर था
आसमान को
आग सा दहका रहा था !
दिहारी के लिए तैयार
हो रही बजंता
ने एक और फेंट
अपने सिर पर बांधी
ताकि सिर को
और सिर पर पड़े
बोझ को अच्छी तरह
से निभा सके !
सामने पड़े दुधमुहे
बच्चे की आवाज को
दरकिनार कर
निकल पड़ी मजदूरी पर
बिना तपिश की परवाह किए
क्योंकि पेट की तपिश
सूरज की तपिश से ज्यादा
होती है !
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
वाराणसी
Tuesday, October 21, 2008
छत्तीसगढ़ की पाँच दिवसीय दीपावली
छत्तीसगढ़ मै पाँच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार का आरम्भ धनतेरस यानि धन्वन्तरी त्रयोदस से होता है । मान्यता है की इस दिन भगवान् धन्वन्तरी अपने हाँथ में अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। समुद्र मंथन में जो चौदह रत्न निकले थे, भगवान् धन्वन्तरी उनमे से एक है। वे आरोग्य और समृद्धि के देव है । स्वास्थ्य और सफाई से इनका गहरा सम्बन्ध होता है। इसलिए इस दिन सभी अपने घरों की सफाई करते है और लक्ष्मी जी के आगमन की तयारी करतें है। इस दिन लोग यथाशक्ति सोना- चांदी और बर्तन इत्यादि खरीदते है।
दूसरे दिन कृष्ण चतुर्दशी होता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण नरकासुर का वध करके, उनकी क़ैद से हजारों राजकुमारियों को मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में उजाला किए थे। राजकुमारियों ने इस दिन दीपों की श्रृंख्ला जलाकर, अपने जीवन में खुशियों को समाहित किया था।
तीसरे दिन आता है दीपावली। दीपों का त्यौहार..... लक्ष्मी पूजन का त्यौहार। असत्य पर सत्य की, अन्धकार पर प्रकाश की, और अधर्म पर धर्म की विजय का त्यौहार है दीपावली। इस त्यौहार को मनाने के पीछे अनेक लोक मान्यताएं जुड़ी हुई है। भगवान् श्रीरामचंद्र जी के चौदह वर्ष बनवास काल की समाप्ति और अयोध्या आगमन पर उनके स्वागत में दीप जलाना, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस का इस दिन जन्म हुआ था और इसी दिन उन्होंने जल समाधि ली थी। अहिंसा की प्रतिमूर्ति और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी दिन निर्वाण किया था। सिख धर्म के प्रवर्तक श्री गुरुनानक देव जी का जन्म इसी दिन हुआ था। इस सत्पुरुषों के उच्च आदर्शों और अमृतवाणी से हमे सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इसी अमावास को भगवान् विष्णु जी ने धन की देवी लक्षी जी का वरण किया था। इसीलिए इस दिन सारा घर दीपों के प्रकाश से जगमगा उठता है। पटाखे और आतिशबाजी की गूँज उनके स्वागत में होती है। इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके प्रसन्न किया जाता है, और घर को श्री संपन्न करने की उनसे प्रार्थना की जाती है। :-
पाँचवे दिन आता है भाई दूज का पवित्र त्यौहार। यमराज के वरदान से बहन इस दिन अपने भाई का स्वागत करके मोक्ष की अधिकारी बनती है। पाँच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार को लोग बड़े धूमधाम और आत्मीय ढंग से मनाते है।
यह सच है की दीपावली के आगमन से खर्च में बढोत्तरी हो जाती है और पाँच दिन तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार के कारण आपका पाँच माह का बजट फेल हो जाता है। उचित तो यही होगा की आप इसे अपने बजट के अनुसार ही मनाएं । हर वर्ष आने वाला दीपावली अपने चक्र के अनुसार इस वर्ष भी आया है और भविष्य में भी आयेगा पर इससे घबराएँ नहीं और सादगीपूर्ण और सौहार्द के वातावरण में मनाएं । दूरदर्शिता से काम ले, इतनी फिजूलखर्ची ना करें की आपका दिवाला ही निकल जाए और ना ही इतनी कंजूसी करें की दीपावली का आनंद ही न मिल पाए..।
दूसरे दिन कृष्ण चतुर्दशी होता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण नरकासुर का वध करके, उनकी क़ैद से हजारों राजकुमारियों को मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में उजाला किए थे। राजकुमारियों ने इस दिन दीपों की श्रृंख्ला जलाकर, अपने जीवन में खुशियों को समाहित किया था।
तीसरे दिन आता है दीपावली। दीपों का त्यौहार..... लक्ष्मी पूजन का त्यौहार। असत्य पर सत्य की, अन्धकार पर प्रकाश की, और अधर्म पर धर्म की विजय का त्यौहार है दीपावली। इस त्यौहार को मनाने के पीछे अनेक लोक मान्यताएं जुड़ी हुई है। भगवान् श्रीरामचंद्र जी के चौदह वर्ष बनवास काल की समाप्ति और अयोध्या आगमन पर उनके स्वागत में दीप जलाना, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस का इस दिन जन्म हुआ था और इसी दिन उन्होंने जल समाधि ली थी। अहिंसा की प्रतिमूर्ति और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी दिन निर्वाण किया था। सिख धर्म के प्रवर्तक श्री गुरुनानक देव जी का जन्म इसी दिन हुआ था। इस सत्पुरुषों के उच्च आदर्शों और अमृतवाणी से हमे सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इसी अमावास को भगवान् विष्णु जी ने धन की देवी लक्षी जी का वरण किया था। इसीलिए इस दिन सारा घर दीपों के प्रकाश से जगमगा उठता है। पटाखे और आतिशबाजी की गूँज उनके स्वागत में होती है। इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके प्रसन्न किया जाता है, और घर को श्री संपन्न करने की उनसे प्रार्थना की जाती है। :-
जय जय लक्षी ! हे रमे ! रम्य !
हे देवी ! सदय हो, शुभ वर दो !
प्रमुदित हो, सदा निवास करो
सुख संपत्ति से पूरित कर दो,
हे जननी ! पधारो भारत में
कटु कष्ट हरो, कल्याण करो
भर जावे कोषागार शीघ्र
दुर्भाग्य विवश जो है खाली
घर घर में जगमग दीप जले
आई है देखो दीपावली.... !
चौथे दिन आती है गोवर्धन पूजा। यह दिन छत्तीसगढ़ में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। मुंगेली क्षेत्र में इस दिन को पान बीडा कहतें है और अपने घरों में मिलने आए लोगों का स्वागत पान बीडा देकर करतें है। इस दिन गोबर्धन पहाड़ बनाकर उसमे श्रीकृष्ण और गोप गोपियाँ बनाकर उनकी पूजा की जाती है।हे देवी ! सदय हो, शुभ वर दो !
प्रमुदित हो, सदा निवास करो
सुख संपत्ति से पूरित कर दो,
हे जननी ! पधारो भारत में
कटु कष्ट हरो, कल्याण करो
भर जावे कोषागार शीघ्र
दुर्भाग्य विवश जो है खाली
घर घर में जगमग दीप जले
आई है देखो दीपावली.... !
पाँचवे दिन आता है भाई दूज का पवित्र त्यौहार। यमराज के वरदान से बहन इस दिन अपने भाई का स्वागत करके मोक्ष की अधिकारी बनती है। पाँच दिन तक चलने वाले इस त्यौहार को लोग बड़े धूमधाम और आत्मीय ढंग से मनाते है।
यह सच है की दीपावली के आगमन से खर्च में बढोत्तरी हो जाती है और पाँच दिन तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार के कारण आपका पाँच माह का बजट फेल हो जाता है। उचित तो यही होगा की आप इसे अपने बजट के अनुसार ही मनाएं । हर वर्ष आने वाला दीपावली अपने चक्र के अनुसार इस वर्ष भी आया है और भविष्य में भी आयेगा पर इससे घबराएँ नहीं और सादगीपूर्ण और सौहार्द के वातावरण में मनाएं । दूरदर्शिता से काम ले, इतनी फिजूलखर्ची ना करें की आपका दिवाला ही निकल जाए और ना ही इतनी कंजूसी करें की दीपावली का आनंद ही न मिल पाए..।
हे दीप मालिके ! फैला दो आलोक
तिमिर सब मिट जाए
तिमिर सब मिट जाए
प्रो अश्विनी केशरवानी
राघव- डागा कालोनी - चंपा, (छत्तीसगढ़)
राघव- डागा कालोनी - चंपा, (छत्तीसगढ़)
कविता : कंदीलों से सजी गलियां
कंदीलों से सजी गलियां
चमके हर आँगन घर द्वार
मन की खुशियाँ नभ से ऊँची
आया दीपों का त्यौहार
झिलमिल करती फुलझरियां
लम्बी लड़ी चटाई की
तरह तरह के बने पकवान
थाली भरी मिठाई की
पूजन करके भगवन का
आओ मिलके खुशी मनाये
जीवन की कारा मिट जाए
मन में ऐसा दीप जलाये
चमके हर आँगन घर द्वार
मन की खुशियाँ नभ से ऊँची
आया दीपों का त्यौहार
झिलमिल करती फुलझरियां
लम्बी लड़ी चटाई की
तरह तरह के बने पकवान
थाली भरी मिठाई की
पूजन करके भगवन का
आओ मिलके खुशी मनाये
जीवन की कारा मिट जाए
मन में ऐसा दीप जलाये
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
Monday, October 20, 2008
भारतीय संस्कृति की कुछ जानकारियाँ
भारतीय संस्कृति की कुछ जानकारियाँ : हमे गर्व है कि हम भारतीय है। भारत की गौरवपूर्ण संस्कृति ने पूरे विश्व में अपना एक अलग स्थान बनाया है। आईये एक नज़र डालते है भारतीय संस्कृति की कुछ रोचक जानकारियों पर ...
चार वेद : ऋग्वेद, सामवेद, अर्थवेद, यजुर्वेद, ।
छः शास्त्र : वेदांग, सांख्य, योग, निरुक्त, व्याकरण, छंद ।
सात नदियाँ : गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु, कावेरी ।
अट्ठारह पुराण : गरुण पुराण, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, भविष्य पुराण, लिंग पुराण, पद्मा पुराण, बावन पुराण, कूर्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मत्स्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, कल्कि पुराण, अग्नि पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, वराह पुराण।
पंचामृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर ।
पाँच तत्व : पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि ।
तीन गुण : सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण ।
तीन दोष : वात, पित्त, कफ ।
तीन लोक : आकाश, पाताल, मृत्युलोक ।
सात सागर : क्षीर सागर, दुधी सागर, घृत सागर, पयान सागर, मधु सागर, मदिरा सागर, लहू सागर ।
सात द्वीप : जम्बू द्वीप, पलक्ष द्वीप, कुश द्वीप, शाल्माली द्वीप, क्रौंच द्वीप, शंकर द्वीप, पुष्कर ।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश ।
तीन जीव : जलचर, नभचर, थलचर ।
तीन वायु : शीतल, मंद, सुगंध ।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ।
चौदह भुवन : तल, अतल, वितल, सुतल, रसातल, पाताल, भुवलोक, भूलोक, स्वर्गलोक, मृत्युलोक, यमलोक, वरुण, सत्यलोक, ब्रह्मलोक ।
चार फल : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ।
चार क्षत्रु : काम, क्रोध, लोभ, मोह ।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास ।
चार धाम : जगन्नाथ, रामेश्वर, द्वारका, बद्रीनाथ ।
पंचगव्य : दूध, दही, घी, गोबर, यज्ञ
अष्ट धातु : सोना, चांदी, ताँबा, लोहा, शीशा, कांसा, रांगा, पीतल ।
पाँच देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, सूर्या।
चौदह रत्न : अमृत, ऐरावत, हाथी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, उच्चैश्रवा, घोड़ा, शंख, चंद्रमा, धनुष, कामधेनु, धन्वन्तरी वैद्य, रम्भा, अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी, वृष ।
नौ निधि : पक्ष, महापक्ष, शंख, मकर, कश्यप, कुकुंद, मुकुंद, नील, बर्च ।
नवधा भक्ति : श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदना, मित्र, दास्य, आत्मनिवेदन ।
चार वेद : ऋग्वेद, सामवेद, अर्थवेद, यजुर्वेद, ।
छः शास्त्र : वेदांग, सांख्य, योग, निरुक्त, व्याकरण, छंद ।
सात नदियाँ : गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु, कावेरी ।
अट्ठारह पुराण : गरुण पुराण, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, भविष्य पुराण, लिंग पुराण, पद्मा पुराण, बावन पुराण, कूर्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मत्स्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, कल्कि पुराण, अग्नि पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, वराह पुराण।
पंचामृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर ।
पाँच तत्व : पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि ।
तीन गुण : सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण ।
तीन दोष : वात, पित्त, कफ ।
तीन लोक : आकाश, पाताल, मृत्युलोक ।
सात सागर : क्षीर सागर, दुधी सागर, घृत सागर, पयान सागर, मधु सागर, मदिरा सागर, लहू सागर ।
सात द्वीप : जम्बू द्वीप, पलक्ष द्वीप, कुश द्वीप, शाल्माली द्वीप, क्रौंच द्वीप, शंकर द्वीप, पुष्कर ।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश ।
तीन जीव : जलचर, नभचर, थलचर ।
तीन वायु : शीतल, मंद, सुगंध ।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ।
चौदह भुवन : तल, अतल, वितल, सुतल, रसातल, पाताल, भुवलोक, भूलोक, स्वर्गलोक, मृत्युलोक, यमलोक, वरुण, सत्यलोक, ब्रह्मलोक ।
चार फल : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ।
चार क्षत्रु : काम, क्रोध, लोभ, मोह ।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास ।
चार धाम : जगन्नाथ, रामेश्वर, द्वारका, बद्रीनाथ ।
पंचगव्य : दूध, दही, घी, गोबर, यज्ञ
अष्ट धातु : सोना, चांदी, ताँबा, लोहा, शीशा, कांसा, रांगा, पीतल ।
पाँच देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, सूर्या।
चौदह रत्न : अमृत, ऐरावत, हाथी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, उच्चैश्रवा, घोड़ा, शंख, चंद्रमा, धनुष, कामधेनु, धन्वन्तरी वैद्य, रम्भा, अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी, वृष ।
नौ निधि : पक्ष, महापक्ष, शंख, मकर, कश्यप, कुकुंद, मुकुंद, नील, बर्च ।
नवधा भक्ति : श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदना, मित्र, दास्य, आत्मनिवेदन ।
निवेश और बीमे को अलग रखने मे ही समझदारी है
हर इंसान अपने भविष्य की अनदेखी आर्थिक मुसीबत के लिए अपनी कमी का एक हिस्सा बचाता है और उसे निवेश करता है ताकि उसकी बचाई हुई रकम मे वृद्धि हो। इसके लिए बहुत से विकल्प होतें हैं जैसे बैंक फिक्सड डिपॉजिट, बैंक बचत खाता, म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट मे निवेश, पी पी ऍफ़ इत्यादी।
घर का कमाने वाला मुखिया जिसकी आय पर सारा परिवार आश्रित रहता है उसके लिए अपने जीवन का बीमा करना बहुत महत्पूर्ण और आवश्यक होता है । जीवन बीमा भविष्य मे बीमित व्यक्ति के ना होने पर परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है । इसके लिए विभिन्न बीमा कंपनियाँ तरह तरह के उत्पाद बनाती है जिसमे अलग अलग तरह के लोगों के लिए अलग विशेषताएं होती है। जैसे बच्चों के उज्जवल भविष्य की बीमा योजना, पेंशन योजना, आजीवन बीमा इत्यादी। निजी जीवन बीमा कम्पनियों के भारत मे प्रवेश के बाद से रोजाना नए नए बीमा उत्पाद बाज़ार मे आ रहे है। पर अधिकतर जीवन बीमा कम्पनियों ने अपनी सकल प्रीमियम आय को बढ़ाने के लिए बीमा और निवेश दोनों को मिला कर एक नया उत्पाद ' यूलिप' निकाल दिया है जिसमे बीमा की सुरक्षा के साथ प्रीमियम का हिस्सा चुने हुए फंड मे निवेश कर दिया जाता है।
यहाँ हम बात कर रहे है बीमे को निवेश से अलग रखने की। पर क्यों? इसके कई कारण है। सबसे पहली बात की बीमा का उद्द्येश्य बीमित व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना होता है न की बचत और निवेश को प्रोत्साहन करना। आजकल देखा गया है की यूलिप प्लान्स मे बीमा कम्पनियों को कुल प्रीमियम आय मे से सबसे ज़्यादा प्रीमियम प्राप्त हो रही है। जबकि युलिप प्लान मे निवेश का जोखिम स्वयं निवेशक का होता है । अधिकतर बीमा कंपनियाँ और उनके एजेंट यूलिप प्लान्स के तहत अत्यधिक उच्च रिटर्न दिखा रही थी और है। उदाहरण के लिए जीवन बीमा की मार्केट प्लस योजना, जिसमे एजेंटो ने बहुत बढ़ चढ़ कर अनाधिकृत रूप से रिटर्न का आश्वासन दिया था क्यूंकि उस समय भारतीय शेयर बाज़ार मे अच्छी बढ़त हो रही थी। पर आज स्तिथि बिल्कुल भिन्न है, शेयर मार्केट धराशायी हो गया है और ऐसे मे जिन लोगों ने यूलिप मे पैसा लगाया था उन्हें अच्छा खासा नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
दूसरे यूलिप प्लान्स मे बीमित व्यक्ति को प्रीमियम का न्यूनतम पाँच गुना और अधिकतम राशि प्लान और बीमे की रकम के हिसाब से होता है। यानी एक व्यक्ति अगर 10,000/- रूपये का वार्षिक प्रीमियम देता ही तो उसे न्यूनतम 50,000/- का बीमा मिलेगा। जबकि की सुरक्षा के लिए मियादी बीमा (जिसमे केवल सुरक्षा दी जाती है कोई लाभ नही) मे उसे इतने ही प्रीमियम मे कहीं ज़्यादा रूपये का बीमा मिल सकता है। जों बीमा की दृष्टि से ज़्यादा उचित है। क्योंकि लाख दो लाख रुपये का बीमा एक सामान्य कमाने वाले व्यक्ति के लिए काफ़ी कम है।
एक बात यूलिप मे मैंने और देखी है वह यह कि मुख्यतः mortality चार्जेस के अलावा उसमे कई तरह के खर्चे बिमा कम्पनी काट लेती है जो कि हर महीने काटा जाता है। कुल सालाना खर्च लगभग १५०० से २२०० रुपये तक (सालाना प्रीमियम यदि १०,०००/- हो ) होता है जो कि शुरू के तीन साल मे कटता ही है । इस तरह से देखे तो शुरू के तीन साल मे जो आप प्रीमियम देतें है उसमे से अधिकतर तो बीमा कंपनी काट लेती है जिसकी भरपाई ही कम से कम ५-६ साल मे होती है तो इस स्तिथि मे जहाँ आपको चौथे साल अगर पॉलिसी से पैसे निकालना चाहें तो आप अच्छे खासे नुक्सान मे रहेंगे। यूनिट लिंक पॉलिसी आप अगर ले तो कम से कम उसे १० से १५ साल अवश्य चलायें तभी आपको फंड से कुछ फायदा होने की उम्मीद होगी।
तो देखा आपने कि यूलिप लेना बीमा के उद्देश्य से कितना महंगा सौदा है? मेरी राय मे बीमा निवेश को अलग रखना ही समझदारी है। आप यदि ३५ वर्ष के है तो ५ लाख रुपये के मियादी बीमे के लिए आपको करीब ३५०० के आस पास देने होंगे जबकि यूलिप मे १ लाख के बीमे पर करीब १५०० कट जाते है तो अच्छा है कि आप मियादी बीमा ले और शेष (१०,०००-३५००=६५०० ) राशि को किसी दूसरे निवेश के विकल्प मे लगायें।
घर का कमाने वाला मुखिया जिसकी आय पर सारा परिवार आश्रित रहता है उसके लिए अपने जीवन का बीमा करना बहुत महत्पूर्ण और आवश्यक होता है । जीवन बीमा भविष्य मे बीमित व्यक्ति के ना होने पर परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है । इसके लिए विभिन्न बीमा कंपनियाँ तरह तरह के उत्पाद बनाती है जिसमे अलग अलग तरह के लोगों के लिए अलग विशेषताएं होती है। जैसे बच्चों के उज्जवल भविष्य की बीमा योजना, पेंशन योजना, आजीवन बीमा इत्यादी। निजी जीवन बीमा कम्पनियों के भारत मे प्रवेश के बाद से रोजाना नए नए बीमा उत्पाद बाज़ार मे आ रहे है। पर अधिकतर जीवन बीमा कम्पनियों ने अपनी सकल प्रीमियम आय को बढ़ाने के लिए बीमा और निवेश दोनों को मिला कर एक नया उत्पाद ' यूलिप' निकाल दिया है जिसमे बीमा की सुरक्षा के साथ प्रीमियम का हिस्सा चुने हुए फंड मे निवेश कर दिया जाता है।
यहाँ हम बात कर रहे है बीमे को निवेश से अलग रखने की। पर क्यों? इसके कई कारण है। सबसे पहली बात की बीमा का उद्द्येश्य बीमित व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना होता है न की बचत और निवेश को प्रोत्साहन करना। आजकल देखा गया है की यूलिप प्लान्स मे बीमा कम्पनियों को कुल प्रीमियम आय मे से सबसे ज़्यादा प्रीमियम प्राप्त हो रही है। जबकि युलिप प्लान मे निवेश का जोखिम स्वयं निवेशक का होता है । अधिकतर बीमा कंपनियाँ और उनके एजेंट यूलिप प्लान्स के तहत अत्यधिक उच्च रिटर्न दिखा रही थी और है। उदाहरण के लिए जीवन बीमा की मार्केट प्लस योजना, जिसमे एजेंटो ने बहुत बढ़ चढ़ कर अनाधिकृत रूप से रिटर्न का आश्वासन दिया था क्यूंकि उस समय भारतीय शेयर बाज़ार मे अच्छी बढ़त हो रही थी। पर आज स्तिथि बिल्कुल भिन्न है, शेयर मार्केट धराशायी हो गया है और ऐसे मे जिन लोगों ने यूलिप मे पैसा लगाया था उन्हें अच्छा खासा नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
दूसरे यूलिप प्लान्स मे बीमित व्यक्ति को प्रीमियम का न्यूनतम पाँच गुना और अधिकतम राशि प्लान और बीमे की रकम के हिसाब से होता है। यानी एक व्यक्ति अगर 10,000/- रूपये का वार्षिक प्रीमियम देता ही तो उसे न्यूनतम 50,000/- का बीमा मिलेगा। जबकि की सुरक्षा के लिए मियादी बीमा (जिसमे केवल सुरक्षा दी जाती है कोई लाभ नही) मे उसे इतने ही प्रीमियम मे कहीं ज़्यादा रूपये का बीमा मिल सकता है। जों बीमा की दृष्टि से ज़्यादा उचित है। क्योंकि लाख दो लाख रुपये का बीमा एक सामान्य कमाने वाले व्यक्ति के लिए काफ़ी कम है।
एक बात यूलिप मे मैंने और देखी है वह यह कि मुख्यतः mortality चार्जेस के अलावा उसमे कई तरह के खर्चे बिमा कम्पनी काट लेती है जो कि हर महीने काटा जाता है। कुल सालाना खर्च लगभग १५०० से २२०० रुपये तक (सालाना प्रीमियम यदि १०,०००/- हो ) होता है जो कि शुरू के तीन साल मे कटता ही है । इस तरह से देखे तो शुरू के तीन साल मे जो आप प्रीमियम देतें है उसमे से अधिकतर तो बीमा कंपनी काट लेती है जिसकी भरपाई ही कम से कम ५-६ साल मे होती है तो इस स्तिथि मे जहाँ आपको चौथे साल अगर पॉलिसी से पैसे निकालना चाहें तो आप अच्छे खासे नुक्सान मे रहेंगे। यूनिट लिंक पॉलिसी आप अगर ले तो कम से कम उसे १० से १५ साल अवश्य चलायें तभी आपको फंड से कुछ फायदा होने की उम्मीद होगी।
तो देखा आपने कि यूलिप लेना बीमा के उद्देश्य से कितना महंगा सौदा है? मेरी राय मे बीमा निवेश को अलग रखना ही समझदारी है। आप यदि ३५ वर्ष के है तो ५ लाख रुपये के मियादी बीमे के लिए आपको करीब ३५०० के आस पास देने होंगे जबकि यूलिप मे १ लाख के बीमे पर करीब १५०० कट जाते है तो अच्छा है कि आप मियादी बीमा ले और शेष (१०,०००-३५००=६५०० ) राशि को किसी दूसरे निवेश के विकल्प मे लगायें।
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Sunday, October 19, 2008
रवि प्रकाश केशरी की कविता - शब्द
शब्द होते है
पढने के लिए
शब्द होते है
गढ़ने के लिए
शब्द सीमा में
बांधे नही जाते
शब्द होठो से कहे नही जाते
शब्द अभूझपहेली है
शब्द तेरी मेरी
सहेली है
पढने के लिए
शब्द होते है
गढ़ने के लिए
शब्द सीमा में
बांधे नही जाते
शब्द होठो से कहे नही जाते
शब्द अभूझपहेली है
शब्द तेरी मेरी
सहेली है
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
वाराणसी
Saturday, October 18, 2008
रवि प्रकाश केशरी की कविता: "दूरियां "
दूरिया छोटी
फासले बड़े हो गए
वास्तव में हम
बड़े हो गए,
घट गई देह से
देह की दूरी
दिलो के रिश्ते
दूर हो गए,
आसमान की
खवाहिश में हम
अरमानो के लाशो
पर खड़े हो गए,
जिंदगी की
चाहत में हम
मौत के करीब
होते हो गए,
आधुनिकता के दौर में
सभ्यता हार गई
और हम
फिर नग्न हो गए,
वास्तव में हम बड़े हो गये !
फासले बड़े हो गए
वास्तव में हम
बड़े हो गए,
घट गई देह से
देह की दूरी
दिलो के रिश्ते
दूर हो गए,
आसमान की
खवाहिश में हम
अरमानो के लाशो
पर खड़े हो गए,
जिंदगी की
चाहत में हम
मौत के करीब
होते हो गए,
आधुनिकता के दौर में
सभ्यता हार गई
और हम
फिर नग्न हो गए,
वास्तव में हम बड़े हो गये !
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
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