कुछ वर्षों मे जैसे जैसे सूचना और संचार क्रांति आई है, वैश्वीकरण हुआ है, सबके हाँथ मे मोबाईल आया है किसी से भी संपर्क करना आसान हो गया है या तो फ़ोन के ज़रिये या फ़िर इन्टरनेट के माध्यम से। ऐसे मे मुझे लगता है आज के केसरवानी युवा खुल कर अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के पक्ष मे हैं । अगर अपनी जाती मनपसंद लड़की मिली तो ठीक वरना अंतरजातीय विवाह मे भी उन्हें कोई बुराई नही दिखाई देती है।
इस विषय पर कई प्रश्न उठ खड़े होते है जिसका जवाब केसरवानी समाज के लोगो को मिलजुल कर ढूंढ़ना होगा जैसे। आप निम्न प्रश्नों को के उत्तर ढूँढने की कोशिश कीजिये
- केसरवानी समाज लड़का और लड़की मे भेदभाव रखता है? यह देखा गया है की अधिकतर केसरवानी परिवार अपनी बेटी की शादी तो केसरवानी समाज मे ही करना चाहता है पर बेटे की शादी अंतरजातीय भी हो तो उन्हें ज़्यादा दिक्कत नही होती है ?
- केसरवानी समाज मे लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नही दी गई है जितनी की लड़को को?
- केसरवानी समाज अभी उतना संगठित और एकजुट नही है जितना की होना चाहिए। जिससे की वर वधु की तलाश आसान हो ?
- केसरवानी समाज मे नाम कमाने वाले शख्स बहुत है जैसे डॉक्टर, वकील, प्रशासनिक अधिकारी, इत्यादी परन्तु महिलाये कितनी है? महिलाओं के पीछे रह जाने का क्या कारण है?
सोचिये और अपने विचार प्रकट करने से चुकियेगा नही... शायद आप के ही विचार से कोई हल निकल आए?