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श्री गणेशाय नमः


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Tuesday, March 10, 2009

वाराणसी मे केसरवानी होली मिलन समारोह

मित्रों आगामी १५ मार्च २००९ को जैन धर्मशाला, मैदागिन, वाराणसी मे सायंकाल ५ बजे से होली मिलन एवम शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम कि विस्तृत विवरण निम्न है-

रंगारंग होलियाना गीत -
गायक- महेंद्र मिश्रा एवं मनोज तिवारी
मुख्य अतिथि-
माननीय नन्द गोपाल गुप्ता, (नंदी) प्रदेश अध्यक्ष एवं मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार
विशिष्ट अतिथि-
श्री अरुण गुप्ता, (प्रदेश अध्यक्ष) अखिल भारतीय केसरवानी वैश्य सभा, एवं श्री अनिल केशरी (केशरी फिल्लिंग) वाराणसी

संरक्षक :
अजय केशरी (राष्ट्रीय महामंत्री)
संजय केशरी (प्रदेश महामंत्री)
सुनील केशरवानी 'राना' (प्रदेश संगठन मंत्री)
बबलू मामा ( प्रदेश मंत्री)

कार्यक्रम संयोजक-
आत्म विशेश्वर, गोपाल गुरु, राजेश केशरी, महेंद्र दरीबा, सुरेश केशरी, विजय, संदीप केशरी (सोनू), नागेश केशरी

अध्यक्ष
विजय केशरी
वरिष्ठ उपाध्यक्ष
महेंद्र केशरी
महामंत्री
लल्ली चौधरी
कोषाध्यक्ष
संतोष केशरी

हंसो हंसो, मौज मनाओ, साथ मे बनारसी ठंडाई एवं चकाचक रात्रि भोज के साथ मौज मनाओ
(सूचना श्री रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी द्वारा प्रेषित)

Monday, March 2, 2009

होली ज़रूर खेले पर रखे इसका ध्यान

"होली" मतलब मस्ती, रंग, पिचकारी, हुडदंग, गुझिया और पकवान। बस कुछ ही दिनों बाद ११ मार्च २००९ को भारत का एक प्रमुख पर्व होली मनाई जायेगी। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमे लोग आपस के बैर भाव भुलाकर मस्ती के एक ही रंग मे रंग जाते है। मस्ती मे झूमते रंग बिरंगे चेहरों मे घुमते नाचते गाते लोगों कि टोलियाँ, लाल पीला हरा गुलाबी हवा मे उड़ता गुलाल, और बच्चे? तो पूछिए मत! पिचकारी और रंग लिए एक दूसरे के पीछे दौड़ते भागते दिखायी देते है। होली है ही ऐसा त्यौहार जो हमे सिखाता है कि हम अमीरी गरीबी, धर्म और जाति के भेद भाव से ऊपर उठकर एक रंग मे रंग जाए। कुछ लोग तो होली का बेसब्री से इंतज़ार करते है और खूब मस्ती करते है और कुछ लोग तो रंगों के डर से घर से बाहर ही नही निकलते है। कुछ को गुलाल से होली खेलना पसंद आता है तो किसी को रंग से भरी पिचकारी से।

भारत के अलग अलग प्रान्तों मे होली खेलने के अलग अलग ढंग है। ब्रज कि जहाँ लट्ठमार होली प्रसिद्ध है तो कहीं फूलों कि होली। कहीं कहीं तो सप्ताह भर तक होली खेली जाती है। पर सबका एक ही मकसद, भूल जाए सारे भेदभाव और डूब जाए मस्ती और प्रेम के रंग मे।

होली मस्ती से वैसे तो चूकना नही चाहिए पर होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां अगर बरत ली जायें तो त्वचा और कत्रिम रंगों से होने वाले नुक्सान से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है। एक समय था जब टेसू के फूल से रंग बनाये जाते है पर आजकल तो कत्रिम रंगों का ही बोलबाला है। ऐसे मे सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है।

कत्रिम रंगों मे कई तरह के रासायनिक और विषैले पदार्थ मिले होते है जो त्वचा, नाखून व नाक मुंह से शरीर मे प्रवेश कर जाते है जो हानिकारक होतें है। होली ज़रूर खेले पर निम्न बातों का भी ध्यान रखें तो होली कि मस्ती और बढ़ जायेगी-
  • जहाँ तक हो सके तो केवल प्राकृतिक और शुद्ध रंगों का ही इस्तेमाल करें
  • होली खेलने से पहले शरीर मे अच्छी तरह से तेल या वैसलीन लगा ले जिससे विषैले तत्व शरीर मे प्रवेश कर सकें
  • ऐसे कपड़े पहन कर होली खेले जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे
  • महिलाएं अपने नाखूनों पर नेल पोलिश लगा ले तो नाकों सुरक्षित रहेंगे
  • बालों पर भी अच्छी तरह से तेल लगा लेना चाहिए और हो सके तो टोपी का इस्तेमाल करे जिससे बाल बचे रहे।
  • होली खेलने के बाद रंग छुडाने के लिए मिटटी का तेल या पेट्रोल जैसे पदार्थ का प्रयोग न करें।
  • रंगों को छुडाने के लिए त्वचा को घिसना नही चाहिए इससे त्वचा मे जलन होगी
  • अपनी आखों का विशेष ध्यान रखें। आंखों को रंग, गुलाल, अबीर आदि से बचाएँ। यदि कुछ रंग आँख मे चला जाए तो तुंरत पानी से धो ले।
  • यदि रंग ना छूट रहें हो तो बेसन के उबटन से उसे छुडाना चाहिए।
  • रंग खेलने के बाद त्वचा रूखी हो जाती है अतः उसे तारो ताज़ा करने के लिए बेसन या मलाई का पेस्ट बना कर लगायें
उपरोक्त सावधानियां बरतते हुए यदि आप होली खेलेंगे तो आपके स्वास्थ्य पर भी कोई असर नही पड़ेगा और मस्ती भी दोगुनी हो जायेगी। फिर जम कर खेलिए होली और हमें भी बताईये कि आपने होली कैसी मनाई और क्या क्या मस्ती करी ? होली कि आपकी सब को बहुत बहुत बधाई

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