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श्री गणेशाय नमः


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Saturday, November 7, 2009

बाल कविता: बचपन का देखो कैसा मज़ा

बाल दिवस अब करीब ही है । प्रत्येक वर्ष १४ नवम्बर को श्री जवाहरलाल नेहरू (चाचा नेहरू) के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप मे मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य मे स्कूलों मे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होतें है. मेरा पुत्र भी प्री नर्सरी मे पढता है . बाल दिवस के उपलक्ष्य मे उसे भी स्कूल मे होने वाले कार्यक्रम मे एक सह गान मे भाग लेना है जिसकी तैयारी स्कूल व घर दोनों जगह कई दिनों से चल रही है . आजकल वह अक्सर ही मस्ती मे गाने लगता है . कविता भी बड़ी रोचक है जो बरबस ही मुझे अपने बचपन की ओर खींच ले जाती है . प्रस्तुत है वह कविता आप सभी के लिए, अपने बचपन को याद करने के लिए....
कविता :
बचपन का देखो कैसा मज़ा...

हम दांतों मे मंजन करतें है...
हम साबुन से हाथ मुंह धोते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2

हम बालों मे कंघी करतें है...
हम साफ़ साफ़ कपड़े पहनते है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2

हम दूध मलाई खातें है ...
हम रोटी खूब चबातें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...2

हम चूहा बिल्ली खेलते है...
हम चूं चूं म्याऊँ म्याऊं करतें है...
बचपन का देखो कैसा मज़ा...२

आपके पास भी यदि कोई कविता हों तो यहाँ पर अवश्य बाटिये ...नमस्कार
आपका विवेक

Sunday, January 11, 2009

बाल कविता: चुन्नू चला स्कूल

नटखट गोलमटोल सा
लिए हाथ में रुल
पीठ पर लादे छोटा बस्ता
चुन्नू चला स्कूल!

एक हाथ में थर्मस थामे
दूजे में लिए टाफी
ब्रेड जैम बिस्किट टिफिन में
चुन्नू के लिए काफी!

दिन भर बिता स्कूल में
होती रही बस मस्ती
घर लौटे चुन्नू को देख
मम्मी उसकी हंसती
-रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी

Friday, December 12, 2008

बाल कविता: आशा

आशा चली स्कूल
पढ़ने बढ़ने के वास्ते
अक्षर अक्षर जोड़ने से
खुलेंगे सफलता के रास्ते

लिए हाथ में कलम
बढेगी हरदम आगे
पढने लिखने से बदलेगी
जीवन की हर परिभाषा

ज्ञान भरी किताबों में
छुपें हैं जीवन के संदेश
पढ़ने लिखने से आशा
घूम सकेगी देश विदेश

-रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी

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