Welcome To Kesarwani samaj Online Magazine केसरवानी ऑनलाइन पत्रिका में आपका हार्दिक स्वागत है पत्रिका के सभी पाठकों से अनुरोध है की करोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सभी सावधानियां बरतें एवं अनावश्यक घर से बाहर ना निकले! अपने हाथ धोते रहे और मास्क का प्रयोग अवश्य करें
श्री गणेशाय नमः


Saturday, December 26, 2009

Kesarwani Matrimonial: Prashant Kumar Kesharwani

Name: Prashant Kumar Kesharwani

Sex: Male

Date Of Birth: April 11, 1979

Height: 5'  7.5"

Father's Name: ShriYog Nidhi Kesharwani

Educational Qualification:Company Secretary from ICSI, New Delhi

Current Occupation/Location : Manager- CS, New Delhi, India

Hobbies &  Interest: Listening Music, Reading Books, Watching Movies, Travelling and Cooking

Contact Address: PO Bhatgaon, Distt. Raipur, Chhattisgarh, India

Native Place: Bhatgaon, Distt. Raipur, Chhattisgarh, India

Contact No. : +91 9971200778 9406233944

Email: prashant.kesharwani@gmail.com

Tuesday, December 22, 2009

लघु कथा: तृप्ति

लघु कथा: तृप्ति
बैंक की सीढियाँ चढ़ते हुए अनुराग काफी उधेड़बुन में था. ज़िन्दगी ने आज उसको एक ऐसे मुकाम पर  लाकर खड़ा कर दिया था जहां से उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. एक ओर बेटी की शादी की चिंता तो दूसरी ओर अपने पिता की ज़िन्दगी का सवाल.

अगले महीने अनुराग की बेटी शिप्रा की शादी है. बेटी की शादी के लिए अनुराग ने उसके पैदा होते ही पाई पाई जोड़ना शुरू कर दिया था ताकि शादी में दिल खोल कर खर्च कर सके और अपनी वो हर हसरत पूरी कर सके जो उसने पाली थी. मगर पिछले दिनों सीढ़ियों से गिरने के कारण अनुराग के पिता के सर में काफी गहरी चोट आई थी और डाक्टरों ने कहा की अगर समय पर ऑपरेशन नहीं हुआ तो इनकी जान भी जा सकती है.

यह सब सोचते हुए अनुराग बैंक में दाखिल हुआ. चेक देकर और टोकन लेकर वह लाइन में खड़ा हों गया. अनुराग आज ज़रूर  अपने पिता के इलाज़ के लिए अपनी सारी जमा पूँजी निकाल रहा था, पर एक बेटी के प्रति कर्त्तव्य निभाना उसे ज्यादा ज़रूरी लग रहा था, जो उसके लिए इज्ज़त की बात हों गयी थी. मगर इस उहापोह में एक पिता से ज्यादा एक बेटा होने का कर्त्तव्य ज्यादा भारी पड़ रहा था.

टोकन का नंबर आते ही अनुराग काउंटर की ओर बढ़ा, तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी. अनुराग ने तुरंत फ़ोन रिसीव किया, उधर से उसकी बीवी सुधा की आवाज़ आई. सुधा की बातें सुनकर अनुराग काउंटर से बिना पैसे लिए अपने कदम मोड़ लिए

अब अनुराग के चेहरे पर चिंता के भाव की जगह सुकून की लकीरें थी.  अब अनुराग शिप्रा की शादी अच्छे तरीके से कर सकेगा क्योंकि अनुराग के सर से एक बोझ उतर गया था, उसके पिता की मौत की खबर फ़ोन पर जो आ चुकी थी.

शायद भगवान ने उसकी सुन ली और एक परमपिता ने एक पिता की लाज रख ली

लेखक: रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी




Sunday, December 20, 2009

Kesarwani Matrimonial: Akanksha Gupta

Name:Akanksha Gupta

Sex: Female

Date Of Birth: November 4, 1984

Height: 5' 6"

Father's Name:Shri Beni Madhav Gupta

Educational Qualification:Speech Therapist (MSc.)

Current Occupation/Location :Speech Therapist in Mumbai

Hobbies & Interest: Reading, Music, Social Welfare work

Contact Address: C/655 Kaveri Vihar, NTPC, Jamnipalli, Korba, 495450 Chhattisgarh,  India.

Native Place: Rewa, Madhya Pradesh, India

Contact No. : +91 9424141527

Email: abhi_baniya81@yahoo.com

Kesarwani Matrimonial: Monika Kesherwani

Name: Monika Kesherwani

Sex: Female

Date Of Birth: December 10, 1984

Height: 5' 1"

Father's Name:Shri Shyam Ji Gupta

Educational Qualification:Diploma In Mechanical Engineering

Current Occupation/Location : Rekhankan Construction

Hobbies & Interest:Drawing, Painting and Cooking

Contact Address: Ambikapur, Chhattisgarh, India.

Native Place: Ambikapur, Chhattisgarh India

Contact No. : 0774-220079 (landline)

Email: kesherwanimadhu@yahoo.com

Friday, December 18, 2009

Kesarwani Matrimonial: Anita Keshari

Name:Anita Keshari

Sex: Female

Date Of Birth: October 25, 1985

Height: 5' 2"

Father's Name:Baidyanath Prasad Keshari

Educational Qualification: MSc.Ist Year (Zoology)

Current Occupation/Location :Studying

Hobbies &  Interest: Reading Books, Cooking

Contact Address: F-2/4, Durga Colony,Vikram Nagar, Khor, Distt. Neemuch, Madhya Pradesh.

Native Place: Keshari Market, Mohalla-Madar Darwaza (Sasaram) P.O Gandhi Ke Neem, Sasaram, Distt. Rohtas, Bihar, India

Contact No. : 07420235481, +91 9406869118

Email: amit.keshari2008@gmail.com

Wednesday, December 16, 2009

लघु कथा: अपनापन

लघु कथा: अपनापन
आशुतोष ऑफिस से निकलते समय काफी खुश था. आज उसका प्रोमोशन लैटर उसके हाथों में था. उसने ऑफिस में आज सबको मिठाई खिलाई और सन्डे को पार्टी का एलान भी कर दिया. रास्ते में आशुतोष ने अपनी पत्नी के लिए एक अच्छी सी साड़ी खरीदी. वो आज यह खुशखबरी अपनी पत्नी नीता को सरप्राइज़ के साथ देना चाहता था. घर पहुँचते ही उसने कालबेल बजाई. मन ही मन आशुतोष खुश हों रहा था. उसने सोच लिया था कि दरवाज़ा खुलते ही वह नीता को गले से लगा लेगा.

लेकिन जैसे ही दरवाज़ा खुला भान्ताबाई को देखकर आशुतोष का सारा प्यार और ख़ुशी मानो पाताल में चली गयी. आशुतोष ने खुद को संभालते हुए बाई से पूछा " नीता कहाँ है? " भान्ताबाई बोली " साब, मेमसाब आज देर से आएँगी. " आशुतोष आँख फाड़ते हुए गुस्से में बोला "क्यों!" भान्ताबाई बोली " साब, मेमसाब ने ऑफिस से फोन किया था. उनका प्रोमोशन हों गया है और वो ऑफिस के लोगों से साथ डिन्नर पर गयी है , देर से आएँगी ."

आशुतोष को तो मानो काटो तो खून नहीं, उसे सांप सूंघ गया. उसने तुरंत नीता को फोन लगाया.  नीता बोली " मैंने तुम्हारा फोन लगाया था पर लगा नहीं, सो घर पर भान्ताबाई को सब बता दिया था. तुम आज अकेले ही डिन्नर कर लेना सॉरी "
आशुतोष ने फ़ोन उठा कर पटक दिया. आशुतोष का यह रूप देखकर भान्ताबाई डरकर रसोई में चली गयी.

आशुतोष पहले जितना खुश था अब उतना ही दुखी. वह खुद को और नीता को तौलने लगा. थोड़ी देर में जब भान्ताबाई चाय ले कर आई तो आशुतोष ने साड़ी का पैकेट भान्ताबाई कि ओर बढ़ाया . भान्ताबाई ने पूछा " साब! ये क्या है? " आशुतोष बोला " इसमें साड़ी है रख लो! आखिर तुम हमारी इतनी सेवा भी तो करती हों! आखिर तुमसे भी तो हमारा अपनापन है! "

भान्ताबाई को साडी देकर आशुतोष ने भान्ताबाई से अपनापन दिखाया या अपने से अपनापन ख़त्म किया, ये तो केवल आशुतोष ही जानता था!

लेखक:
रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी
मोबाइल: 9889685168

Friday, December 4, 2009

कविता: मंदिर मस्जिद

कविता: मंदिर मस्जिद 

मंदिर के मुंडेर पर
बैठा एक कबूतर 
ताड़ रहा था सामने 
मस्जिद की छत को . 

मंदिर से मस्जिद की 
दूरी थी बस दस कदम 
एक तो सूरज की तपिश 
ऊपर से बाजू भी बेदम 

इन हालातों मै कुछ यूँ हुआ 
सामने से नन्हे फरीद ने 
मंदिर के छत की ओर कदम बढाए 
और कबूतर को हाथों में लिया. 

नन्हे फरीद ने धर्म की दीवार को 
मानवता से तोड़ दिया 
और कबूतर पर पास पड़े 
गंगाजल के कमंडल को उड़ेल दिया. 
 
--लेखक: रवि प्रकाश  केशरी 
वाराणसी 


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