Tuesday, December 30, 2008
बच्चों की मनोरंजक पत्रिका 'चम्पक' पढ़े फ्री ऑनलाइन
चलिए बच्चों के लिए एक खुशखबरी कि अब वे चम्पक के नए व् पुराने अंक ऑनलाइन फ्री मे इन्टरनेट पार पढ़ सकतें है बिल्कुल पत्रिका जैसा मज़ा और न फटने का डर न किसी के ले जाने का। मेरे ज़माने मे तो दोस्त भी मांग कर पढ़ते थे और अक्सर वापस ही नही करते थे। अब इस झंझट से भी छुटकारा। तो बच्चों ऑनलाइन फ्री चम्पक कि मजेदार कहानियाँ पढ़े और आनंद ले... ये रहा लिंक >>चम्पक पढ़े फ्री ऑनलाइन >>
Sunday, December 28, 2008
कविता: नया विहान
चंदा का अवसान हो गया
सूरज चमका नई चमक से
नए साल का निर्माण हो गया !
बढ़ते कटुता के दौर में
लोगों का इमान खो गया
बची खुची मानवता से खुश
फ़िर से देखो इंसान हो गया !
प्रकृति के सुंदर फूलों से
सृष्टी का परिधान हो गया
मिल बैठ कर बतियाने से
संकट का समाधान हो गया !
नव वर्ष की शुभ बेला में
देखो मंगलगान हो गया
हँसी खुशी के नए दौर में
मानव पुनः महान हो गया !
-रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
Wednesday, December 17, 2008
कविता: सर्दी
वाराणसी
कविता: संस्कार
आसमान होता है
चलने के लिए ज़मीन
पर छूने के लिए वह
आसमान ही चाहता है
आसमान ऊंचा होता है
व्यक्ति बौना ही रह जाता है
आकाश की ऊँचाई को छूना
हर एक के लिए सम्भव भी कहाँ होता है,
किंतु व्यक्ति होता है अपने संस्कारों का दास
इसलिए अपनी बुनियादी पहचान पाने के लिए
वह शून्य मै छलाँग लगाता है
आकाश की बुलंदी को छूकर
अपने पाँव धरती पर और
मजबूती से जमा लेता है।
लेखक: नवीन केसरवानी
नॉएडा
Friday, December 12, 2008
Kesarwani Matrimonial: Saurabh Kesarwani
Date Of Birth: June 18, 1983
Height: 5 Foot 4 Inch
Educational Qualification: Bachelor's in Technology
Current Occupation: Working in U.S.A. based Software Company
Father's Name: Shri O. P. Kesarwani
E-mail: saurabh.gnitian@gmail.com
MobileNo (India) : 91- 9849244310
बाल कविता: आशा
पढ़ने बढ़ने के वास्ते
अक्षर अक्षर जोड़ने से
खुलेंगे सफलता के रास्ते
लिए हाथ में कलम
बढेगी हरदम आगे
पढने लिखने से बदलेगी
जीवन की हर परिभाषा
ज्ञान भरी किताबों में
छुपें हैं जीवन के संदेश
पढ़ने लिखने से आशा
घूम सकेगी देश विदेश
वाराणसी
नव विवाहित युगल: तृप्ति एवं मयंक
Thursday, December 11, 2008
श्री केसरवानी वैश्य सभा लखनऊ कि वर्तमान कार्यकारणी
कार्यालय :- ४१/५७१, लाला हीरा लाल केसरवानी धर्मशाला, नरही, लखनऊ
सभापति
श्री घनश्याम केसरवानी, सदर, लखनऊ
उपसभापति
श्री शेष कुमार सर्राफ, आलमबाग, लखनऊ
श्री पुष्कर केसरवानी,सर्राफ, लखनऊ
श्री पवन कुमार केसरवानी सर्राफ
श्री मुकेश केसरवानी
मंत्री
श्री मंसूरी लाल केसरवानी
सहमंत्री
अमर नाथ केसरवानी, (पानीघर), सदर
कोषाध्यक्ष एवं संगठन मंत्री
प्रकाश वैश्य
प्रचार मंत्री
दयाशंकर गुप्ता
संपादक 'निशांत' पत्रिका
रामचंद्र गुप्ता
धर्मशाला मंत्री
सुनील कुमार केसरवानी
आय व्यय निरीक्षक
जवाहर लाल केसरवानी
Wednesday, December 10, 2008
केसरवानी सम्मलेन - केसरवानी समाज को उत्तर प्रदेश मे पिछड़ा वर्ग मे सम्मिलित करने हेतु
(सूचना - केसरवानी वैश्य सभा के पत्रांक दिनांक ०५ दिसम्बर, २००८ से )
Sunday, December 7, 2008
कविता: आतंक के ज़ख्म
वाराणसी
Saturday, November 29, 2008
विदाई गीत: माता पिता और परिवार के हृदयोदगार
है जिस पर अधिकार तुम्हारे बेटे का मन माना ॥
मांस और हड्डी तन मेरा है यह बेटी प्यारी।
करो इसे स्वीकार हुई, यह सब भाँती तुम्हारी ॥
पूजे कई देवता हमने तब इसको है पाया।
प्राण समान पाल कर इसको इतना बड़ा बनाया॥
आत्मा है यह आज हमारी हमसे बिछड़ रही है ।
समझती हूँ तो भी जी को भरता धीर नहीं है॥
इस कोमल बिरवा कि रक्षा बड़े चाव से करियो॥
है यह नम्र मेमने से भी भीरु मृग से भी बढ़कर।
बड़ी बात अरु चितवन से यह काँप जाती है थर थर ॥
कठिन घाव भी दुःख का जिससे अच्छा हो जाता था ॥
बहिन तुम्हें भी यह सब बातें जान पड़ेंगी आगे।
अपने नयन रखोगे इस पर जब तुम नित्य अनुरागे॥
बुआ और बहनों स्वजनों की हर दम फब्ती प्यारी ॥
इसकी स्नेह भरी चितवन से श्रद्धा श्रोत्र बहाते।
इसकी प्रेम भरी वाणी से गदगद स्नेह नहाते॥
अपने बेटे में तुम करियो इस बेटी कि गिनती ॥
आशा ही है नही किंतु मन धीरज धार रहा है ।
लख कर इसको विमुख आँख से अंसुवन धार बहा है ॥
प्रस्तुति : आकांक्षा केसरवानी, लखनऊ
Friday, November 28, 2008
Matrimonial: Priyanka kesharwani
Date Of Birth: September 3, 1980
Height: 5 Foot 2 Inches
Educational Qualification: M.Sc., CIT, Pursuing MBA
Current Occupation: Working as a teacher in Convent School
Father's Name: Mr. Anil Kumar
Address: 291, Mutthiganj, Allahabad
Mobile: 9451180027, email: priyanka_kesharwani@yahoo.com
Hobbies: Listening Music
Wednesday, November 26, 2008
Matrimonial: Raj Kumar Kesarwani
Name: Raj Kumar Kesarwani
Date Of Birth: Feb, 15, 1978 Time: 7:25 PM
Height: 5 Foot 11 Inches
Academic Qualification: B.Tech, MBA (IMT-Ghaziabad)
Current Occupation/Experience: Senior Production Manager in (Jindal steel Plant)
Hobbies: Reading Books, Listening To Music & Surfing
Father's Name: Shri Siya Ram Kesarwani (A.M.I.E.) Employee of Tata Steel, Jamshedpur.
Mother: Mrs. Urmila Devi, Housewife.
Residential Address: L-2-48, Kulsi Road, Jamshedpur, East Singbhum, Jharkhand.
Permanent Address: No. 38/47, Mundera Bazar, PO Dhumanganj, Allahabad, (U.P)
Contact No. : 0657-2427520 (Jamshedpur), 09431959735 (Jamshedpur) 098405929889Chennai)
Brother/Brother-in-Law: Santosh Kumar Kesarwani (Elder brother , Married) (MCA, CCSP, Employee of HCL, Chennai
Shashi Kesarwani (Elder brother-in-law), Business Man.
Sister/Sister-in-law: Unnathi Gupta- Wife of Santosh Kumar Kesarwani (Elder Sister-in-law, B.A, L.L.B., MSc. in Cyber Law and Information Security, Executive-Infosec in HCL
Neeraj Kesarwani- (Elder Sister, Married in Allahabad, Housewife)
Sarita Kesarwani- (Elder sister, M.Com + ICA, Unmarried)
Other details: Good Orator, Undergoing training in Painting/Fine Arts at Rabindra Bhawan
Matrimonial: Sarita Kumari
Date Of Birth: November 06, 1982
Height: 5 Foot 2 Inches
Academic Qualification: Master In Commerce, Pursuing Industrial Computer Accountant
Current Occupation/Experience: Six months teaching experience at STG Jamshedpur, Taking Private tuition's for B.Com. students at home.
Hobbies: Interior designing, Cooking, Listening to Music, and Surfing.
Father's Name: Shri Siya Ram Kesarwani (A.M.I.E.) Employee of Tata Steel, Jamshedpur.
Mother: Mrs. Urmila Devi, Housewife.
Residential Address: L-2-48, Kulsi Road, Jamshedpur, East Singbhum, Jharkhand.
Permanent Address: No. 38/47, Mundera Bazar, PO Dhumanganj, Allahabad, (U.P)
Contact No. : 0657-2427520 (Jamshedpur), 09431959735 (Jamshedpur) 098405929889Chennai)
Brother/Brother-in-Law: Santosh Kumar Kesarwani (Elder brother , Married) (MCA, CCSP, Employee of HCL, Chennai
Raj Kumar Kesarwani (Elder brother, Unmarried, B.Tech Mechanical, working at Jindal as Senior Production Manager)
Shashi Kesarwani (Elder brother-in-law), Business Man.
Sister/Sister-in-law: Unnathi Gupta- Wife of Santosh Kumar Kesarwani (Elder Sister-in-law, B.A, L.L.B., MSc. in Cyber Law and Information Security, Executive-Infosec in HCL
Neeraj Kesarwani- (Elder Sister, married in Allahabad, Housewife)
Other details: Good dancer and has undergone 5 years training for Bharat-Natyam, takes tuition for Jewelry Design, crafts etc.
Sunday, November 23, 2008
रवि प्रकाश केशरी कि कविता : आज
बाजुए फड़क रहीं हैं
माहौल बदला सा है
फिजायें महक रही हैं
आसमान अब तो देखो
कदमों तले पड़ा है
कल जिसकी पाने की न हस्ती थी
आज हासिल होने पर अडा पड़ा है
खामोश जुबान से अब
प्रवाह शब्दों का हो रहा है
अंधेरे की कारा के बाद
सूरज फिर से दमक रहा है
नजर बदल गई है
नजरिया बदल गया है
जो आँखें झुकीं थी अब तक
उनमें आसमान का ख्वाब आ गया है !
वाराणसी
Saturday, November 22, 2008
Matrimonial: Dr. Shilpi Kesarwani
Name: Dr. Shilpi Kesarwani
Date Of Birth: feb 8, 1979
Fathers Name: Dr. K K Kesarwani
Educational Qualification: MBBS (GSVM Medical College, Kanpur) B.Sc. , DMLT
Current Occupation: Working in Govt. Hospital
Address; Allahabad
Mobile: 9935416218
email:- akk1_kgmc@yahoo.com
Thursday, November 20, 2008
कविता: प्रकृति
बिखरी चारों ओर है
कहीं पर पीपल कहीं अशोक
कहीं पर बरगद घोर है
लाल गुलाब से सुर्ख है
देखो धरती के दोनों गाल
लिली मोगरा और चमेली
मचा रहे है धमाल
देखो हिम से भरा हिमालय
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी
कल कल करती बहती देखो
गंगा यमुना की निर्मल सोती
प्रकृति ने हम सबको दिया
जीवन का अनुपम संदेश
आओ मिटाए मन की दूरी
दूर हटाये कष्ट कलेश !
वाराणसी
कविता: ज़िन्दगी
या खुली खिड़किया
हर समय बढ़ती है
जिंदगी से नजदीकिया
हो के बेवफा
वफ़ा का दम भरती है
गुमनाम गलियों में रहकर
हमेशा मशहूर रहती है
सब जानते है साथ
छोड़ देगी एक दिन
फ़िर भी वादा करती है
हर पल हर दिन
कभी आम है
कभी खास है जिंदगी
कड़वे अनुभवों की
मिठास है जिंदगी
आज है कल
नही रहेगी जिंदगी
फिर भी बातों में
जिन्दा रहेगी जिंदगी
एक हमसफ़र है
राहे गुजर है जिंदगी
खुदा से खुबसूरत
अहसास है जिंदगी !
वाराणसी
Wednesday, November 19, 2008
Matrimonial: Shilpa Kesarwani
Date Of Birth: 11th November, 1987
Height: 5 Foot 2 Inch
Educational Qualification: Graduate (B.A.)
Interests: Computers and Listening Music
Father: Mr. Subhash Kesarwani doing readymade garments business.
Mother: Mrs. Madhu Kesarwani, Housewife
Elder Sister: Nidhi Kesarwani married to Mr. Sandeep Kesarwani, Lucknow (Business-Flour Mill)
Younger Brother and sister: Komal Kesarwani - Pursuing graduation
Address: 399/400 Boucher Mohal, Sadar Cantt, Lucknow, Uttar Pradesh, India
Mobile: 9305968253
Sunday, November 16, 2008
Matrimonial: Mamta Keshari
Friday, November 14, 2008
बाल दिवस पर विशेष - कब तक शोषित रहेंगे बच्चे
होटल मालिक का क्रोध भरा स्वर सुनकर वह बालक थर-थर कांपने लगा। तभी मालिक का एक तमाचा उसके गाल पर पड़ा फिर तो शुरू हो गयी पिटाई, कभी बाल खिंचकर, तो कभी लात से। मुझसे यह दृश्य देखा न गया और मैं उठकर चला आया। दिन भर वह घटना परत-दर-परत घूमती रही और मैं सोचने के लिये मजबूर हो गया ''कब तक शोषित रहेंगे ये बच्चें........?''
उपर्युक्त घटना बाल मजदूरों के शोषण और दुख दर्द का एक उदाहरण मात्र है। इसी तरह के रिक्शे वाले, ठेले वाले, गैरेज वाले, बाल मजदूरों पर शोषण करते हैं, लेथ मशीन, मोटर गैरेज आदि जगहों में बच्चों को काम सिखाने के नाम पर मुफ्त के काम कराया जाता है। यह भी शोषण का एक तरीका है।
होटलों में जूठे बर्तन साफ करते बच्चे..गैरेज में काम के बहाने बच्चों की पेराई..गाड़ी साफ करना, खेतों और फैक्टरियों में बोझ ढोते ये सुमन..जूता पालिश करते ये बच्चे, आखिर ये कहां के बच्चे हैं ? इन्हें तो इस आयु में विद्यालय की कक्षाओं में होना चहिये था, क्या उत्तरदायित्व का बोझ इन्हें इन कार्यो के प्रति खींच लाया है ? क्या इनके माता-पिता इनकी परवाह नहीं करते अथवा हमारा राष्ट्र ही इनके प्रति इतना लापरवाह हो गया है ?
भारतीय बाल कल्याण परिषद् द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि बाल मजदूरों से उनके मालिक 12 घंटो से भी अधिक समय तक काम लेते हैं। इस प्रकार बाल मजदूर शोषण के खूनी जबड़े में कैद हैं। ये मजदूर बड़ी संख्या में प्रत्येक शहर और गांव के छोटे बड़े उद्योगों में अपना खून-पसीना निरंतर बहाते आ रहे हैं। 1981 की जनगणना के अनुसार भारत में 30 करोड़ बच्चे थे, जो कुल जनसंख्या का 45 प्रतिशत है। इनमें बाल मजदूरों की संख्या 1 करोड़ 20 लाख 25 हजार थी, जो बच्चों की कुल जनसंख्या का 5 प्रतिशत और कुल और मजदूरों की संख्या का 7 प्रतिशत था। इनमें से सर्वाधिक 10 प्रतिशत आंध्रप्रदेश के बाल मजदूरों का था और अन्य राज्यों की कुल जनसंख्या का 4 प्रतिशत था। दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है जहां बाल मजदूरों की संख्या का 3.5 प्रतिशत था। इसके अतिरिक्त उस समय संपूर्ण भारत में कृषि कार्य में संलग्न बाल मजदूर का 78.7 प्रतिशत भाग लगा हुआ था।
काम पर लगे बच्चों का आर्तनाद भारत में ही नहीं वरन् दुनिया भर में सुना जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आई.एल.ओ.) का अनुमान हैं कि विकासशील देशों में 8 से 15 वर्ष की उम्र के 5 करोड़ 50 लाख बच्चे मेहनत मजदूरी करते हैं। पूरी दुनियां में तो उनकी संख्या और भी अधिक है। ये बच्चे बहुत बड़े खतरों से जूझते हैं। इन्हें जहरीले रसायनों को छूना पड़ता है। विषाक्त धुंएं और गैसों के बीच संसा लेना पड़ता है, भारी बोझ ढोना पड़ता है। सामान्यता उनसे बहुत अधिक काम लिया जाता है। खाना तब भी भरपेट नहीं मिल पाता और वेतन तो कम मिलता ही है। इनमें से अधिकांश बच्चों को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ता है।
हालांकि बहुत से देशों में बच्चों से मजदूरी कराने और दुर्व्यवहार करने के विरूद्ध कानून बने हुए हैं फिर भी आई.एल.ओ. का कहना है कि-''ऐसी कोई आशा नही है कि निकट भविष्य में इन मजदूर बच्चों की स्थिति में कोई सुधार आएगा.....? इस निष्कर्ष का आधार यही है कि अधिकांश मजदूर बच्चों का परिवार अपने अस्तित्व के लिये उनकी मजदूरी पर निर्भर रहते हैं। कृषक समाज में तो यह आशा की जाती है कि जैसे ही बच्चे चल फिर कर कुछ कर सकने योग्य हो तो खेतों में वह अपने माता-पिता के साथ हाथ बटाये। उद्योग प्रधान समाज में भी परिस्थितियां बड़ी भयानक है। ब्राजील के राष्ट्रीय बाल कल्याण परिषद् के प्रमुख का कहना है कि ''जब से उद्योगीकरण शुरू हुआ है, हमने ग्रामीण क्षेत्रों से अनगिनत लोगों को शहर की ओर भागते देखा, भारत में इनके कारण गांव की जमीन बंजर होने लगी है।''
बाल मजदूर का मतलब होता है, सस्ता मजदूर-काम ज्यादा, मजदूरी कम। इसीलिए विकासशील देशों में किशोरों को ही अक्सर काम में रखा जाता है। तुर्की के कपड़ा उद्योग निगम के निर्देशक बेझिझक स्वीकार करते हैं। कि ''उनके मिल में 70 प्रतिशत कर्मचारी 15-17 वर्ष आयु के हैं। उनका कहना है कि वे (बाल मजदूर) थोड़ी बहुत सुविधा देने पर वयस्कों के बराबर उत्पादन देते हैं। मेक्सिको के बच्चों को एक दिन में 75 पैसों (लगभग पांच रूपये) मिलते हैं जबकि कानूनन उन्हें 455 पैसो (लगभग 33रूपये) मिलना चाहिये। भारत में चालीस हजार से भी अधिक बच्चे पटाखे और आतिशबाजी पैक करते हैं। उन्हें दिन भर काम करने पर अधिक से अधिक सात से दस रूपये मिलते हैं, जबकि उनक मालिक 32 करोड़ से 40 करोड़ रूपये रूपये सालाना कमाते हैं।
बच्चे तो कोई संगठन बनायेंगे नहीं, न ही वे ज्यादा काम अथवा कम वेतन के मामले में अधिकारियों से शिकायत करेंगे। कानूनी अधिकारों की जानकारी कितने बच्चों की होती है ? बहुत ही कम बच्चे अपनी इस कमाई और काम की इन स्थितियों पर असंतोष प्रकट करते हैं तो उन्हें प्रताड़ना, मार सहने पड़ते हैं। कभी-कभी उन्हें मार पीटकर काम से निकाल दिया जाता है। इसलिये उसे सहते हुए सोचते है कि ''चलो कुछ काम करके पेट तो भर जाता है, नही तो भूखे मारना पड़ता।''
मध्य अमरीका के बच्चे कीटनाशक जहरनीला दवाएं छिड़के खेतों में फसल काटते हैं और कोलंबिया के बच्चे कोयला खानों की घुटन भरी संकरी सुरंग में काम करते हैं। थाईलैण्ड में बच्चे हवा बंद कारखानों में 1500 डिग्री सेंटीग्रेड तक तपते कांच का काम करते हैं। दियासलाई तैयार करने वाले हजारों भारतीय बच्चें गंधक और पोटेशियम क्लोरेट जैसे अति ज्वलनशील पदार्थ की गंध में सांस लेते हैं। ब्राजील में कांच उद्योग में विषाक्त सिलिकान और आर्सेनिक की गैंसो में काम करते है। इन सभी का क्या परिणाम होता है ? इस छोटी उम्र में उसका शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। ब्राजील, कोलंबिया, मिश्र एवं भारत में तो बच्चे ईंट उठाने का काम करते हैं। इससे उनकी रीढ़ की हड्डी को ऐसा नुकसान पहुंचाता है कि कभी ठीक नहीं हो पाता। जो बच्चे कारखानों में देर तक काम करते हैं ,किशोरावस्था में प्रवेश करने पर अक्सर उनके हाथ पैर स्थायी रूप से विकृत हो जाते हैं। कई बच्चे तो किशोरावस्था प्राप्त करने के पहले मर जाते हैं।
खतरनाक स्थितियों में बच्चों की सुरक्षा के लिये कानून तो है लेकिन वे शायद ही कभी लागू किये जाते हैं। कभी-कभी माता पिता बहुत कठोर हो जाते हैं। भारतीय किसान आज भी कई बार बच्चों को बंधुआ मजदूर बनाकर अपना कर्ज चुकाते हैं। इन सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि अपने बच्चों को शोषण से बचाने के लिये उनका परिवार कभी विरोध नहीं करता। आई. एल.ओ. ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ''बच्चे को रचनात्मक और यथार्थ से ऊपर उठाने की योग्यता मारी जाती है और इसका मानसिक संसार निर्धन हो जाता है।''
दुर्भाग्य से ऐसे कार्यक्रम सीमित है और इस समय इने गिने बच्चे ही उसका लाभ उठा रहे हैं। दूसरे लाखों बच्चे तो रोज कुंआ खोदकर रोज पानी पीते हैं। उनके लिये कोई आशा या संभावना नहीं है, फिर भी कुछ ही बच्चे अपने काम से असंतोष प्रकट करते हैं। क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि वे इससे अच्छा जीवन भी जी सकते हैं ?
यह एक रहस्यमय तथ्य है कि ये बाल मजदूर अपने शोषण की कहानी किसी से कहते नहीं। इसका कारण यह जान पडता है कि निर्धनता और मजबूरियों से ग्रस्त ये बच्चे दमन और शोषण के और अधिक होने की आशंका से ग्रस्त हो और उसी के फलस्वरूप वे काफी हद तक पंगु हो गये हों ?
आखिर ये खिलते सुमन मजदूरी क्यों करते हैं ? पास डगलस के शब्दों में-''समाज के द्वारा बच्चे को संरक्षण प्रदान करने का सबसे सार्थक उपाय उसके माता-पिता की आर्थिक स्थिति को सुधारना है जिससे वे बच्चों का उचित रूप से पालन-पोषण कर सकें। इसके अतिरिक्त एक गंभीर समस्या उद्यागों के लिये है जहां इनको पर्याप्त मजदूरी नहीं मिलती। अगर वहां पर्याप्त मजदूरी देने की प्रणाली अपनायें तब ही बाल मजदूरों की समस्या का निदान संभव है। अन्यथा सामाजिक सुधार की बात रेत में महल बनाने जैसा होगा।'' कुछ गरीब घरों के माता-पिता अपने पुत्र को जबरदस्ती काम पर भेज देने की घटनाओं से मैं परिचित हूँ। वे इसका कारण बताते हैं कि पढ़ा लिखाकर कौन सा हमें डांक्टर इंजीनियर बनाना है, अभी से काम वगैरह करेगा तो आगे चलकर मेहनती बनेगा और अपने व अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेगा। उल्लेखनीय है कि गांवों मे कच्ची उमर में ही बच्चों की शादी कर दी जाती है। अब आप ही विचार करें कि कच्ची उम्र में मजदूरी करने वाला लड़का/लड़की क्या और कैसे सुखी रह सकता है ?
यघपि बाल मजदूरों की समस्या को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा कई कानून बनाये गए हैं जो सिर्फ कागजों ओर पुस्तकों तक सीमित होकर रह गए हैं। अब भविष्य में बाल मजदूरों की संख्या पर अंकुश लगाये जाने की ओर ध्यान देना हमारे ही हित में होगा। यह सर्वमान्य तथ्य है कि राष्ट्र की उन्नति व अवनति उसकी भावी पीढ़ी पर निर्भर करती है। इस बात को ध्यान में रखकर बाल मजदूरों की दिशा में आमूल परिवर्तन लाना हमारा कर्तव्य है।
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प्रो. अश्विनी केशरवानी
राघव, डागा कालोनी,
चांपा-495671 (छ.ग.)
Wednesday, November 12, 2008
Kesarwani Community toolbar with widgets, Rss, Tv, Radio, Links on toolbar
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To download you can also visit http://kesarwanisamaj.ourtoolbar.com
I hope this will further bring Kesarwani and Vaishya community (including Kesharwani, Kesri, Keshri, Gupta etc closer and boundries will disappear.
कविता : अद्भुत है संसार
-रवि प्रकाश केशरी, वाराणसी
Monday, November 10, 2008
छोटे घरेलु नुस्खों से पायें बेहतर स्वास्थ्य
- भोजन के बाद रोजाना एक सेब खाने से दांतों की सफेदी बढती है। रेशेदार कच्ची सब्जियां जैसे गाज़र, मूली एवंसेब जैसे फल दातों के लिए ब्रश जैसा काम करतें है।
- थोड़ा सा बेकिंग पावडर से दांतों और मसूडों पर मालिश करने से दांतों मे चमक आती है और मसूडे साफ़ होते है।
- सेब, खीरा इत्यादी फलों को छिलके समेत खाना चाहिए। छिलका उतरकर खाने से उसमे पाए जाने वाले प्रतिउप्चायक (Antioxidants) 50% तक कम हो जातें है।
- सप्ताह मे दो बार आधे घंटे के लिए जॉगिंग करने से मानसिक एकाग्रता एवं दृश्य स्मरण शक्ति मे वृद्धि होती है।
- त्वचा को चुस्त बनाने के लिए आलू के टुकड़े को चेहरे और गले पर मले और पन्द्रह मिनट बाद धो दे।
- ब्रश करने पर यदि मसूडों से खून आता हो तो यह विटामिन सी कि कमी से हो सकता है। आपको विटामिन सी प्रचुर मात्रा मे लेनी चाहिए।
- प्रतिदिन कम से कम ८-१० ग्लास पानी अवश्य पीना चाहिए. इससे किडनी सुचारू रूप से काम करती है ओर स्वस्थ रहती है।
- नारियल का पानी त्वचा, पाचन तंत्र व् बालों के लिए बहुत लाभकारी होता है । सप्ताह मे दो बार नारियल पानी पीना काफ़ी फायदेमंद होता है।
- चेहरे को नर्म और मुलायम बनने के लिए केले को मसल कर चेहरे पर लगायें और १० मिनट बाद गुनगुने पानी से धो ले। चेहरे कि त्वचा मुलायम हो जायेगी।
- भूख खुलकर ना लगती हो तो रोज़ सुबह पपीता खाएं । यदि कब्ज होगा तो नियमित पपीता खाकर दूध पिए कब्ज दूर होगा ।
श्री केसरवानी वैश्य सभा, लखनऊ का अर्ध वार्षिकोत्सव 13 नवम्बर 2008 को
चित्रकला, निबंध, व् रंगोली प्रतियोगिता- मध्यान्ह १२ बजे
सहभोज- अपराह्न २.३० बजे
हौजी - सायं ४ बजे
कार्यक्रम सम्बन्धी अन्य सूचनाएँ:
- विभिन्न प्रतियोगिताएं मे भाग लेने हेतु बच्चे अपने साथ ड्राइंग बोर्ड, राइटिंग बोर्ड, रंग, ब्रश, पेन, पेंसिल, रबर, इत्यादि सामग्री साथ लायें। सभा द्वारा केवल ड्राइंग शीटरूलदार शीट उपलब्ध कराई जायेगी।
- भोजन कि व्यवस्था कूपन द्वारा कि गई है। कूपन का मूल्य रु २०/- निर्धारित किया गया है।
- अभिभावकों से अनुरोध है कि वे वर्ष २००८ में संपन्न कक्षा १०, १२, स्नातक, परास्नातक व् व्यवसायिकपाठ्यक्रमोंकि अन्तिम वर्ष कि परीक्षा को प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने वाले अपने पुत्र -पुत्रियों कि अंकतालिकाओंकि छायाप्रतियाँ तथा उनके द्वारा स्कूल/जिला/प्रान्त/राष्ट्र स्तरीय खेल कूद/ वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि केप्रमाण पत्रोंकि छायाप्रतियां भी सभा के मंत्री को उपलब्ध कराएँ। पुरूस्कार मार्च/अप्रैल २००९ में आयोजित होनेवाले वार्षिकसमारोह मे प्रदान किए जायेंगे।
Saturday, November 8, 2008
Matrimonial: Anil Kumar Keshari
Name: Anil Kumar Keshari
Date Of Birth: 30th January, 1978
Height: 5' 10"
Complexion: Very Fair
Education:
- Mechanical Engineering (First Class) Year 2002, From Fr. Agnel Engineering College, Mumbai
- TOEFL Cleared with 86%
- Ceisco Networking Course
Email: jk_keshari@yahoo.com
Telephone: 09323754721 (Father- Sri Amar Nath)
Address: Flat: 1704, Laxmi Narayan Bldg, 17th Floor, Thane (West)- Mumbai, Maharashtra
Family Background:
Father: Mr. AmarNath Keshari (Gold Medalist in M.Pharma) Worked in Hindustan Ciba Gige Ltd. Presently having own business of Engineering of Manufacturing tools andMachineries.
Mother: Late Mrs. Gita Amar Keshari (From Varanasi, Bhiru Ram Mathura Prasad, Machoduri Park)
Sister: (One Sister Married) Mrs. Anita Jitendra Keshari {With cute sweet little daughter Ms. Jenny(3 yrs)} Lawyer & Microbiologist- working in Dubai (Got Married in Kolkatta)
Brother In Law: Mr. Jitendra Kumar Keshri Chartered Accountant & Cost Accountant Working in ARMS Group, Dubai. (S/o Shri Radheyshyam Keshari, Shyambazar, Kolkatta)
Other Relatives:
- Mr. Devi Prasad Keshari (Uncle) & Mrs. Nanda Devi Keshari(Aunty): Businessman- Having own business of Engineering From Bombay.
- Mr. Shiv Prasad Keshari (Uncle) & Mrs. Kamini Shiv Keshari (Aunty): Businessman- Having own business of Engineering From Bombay.
Friday, November 7, 2008
छत्तीसगढ़ के जन नेता निरंजन केसरवानी
वे राजनीति के क्षेत्र में 'छत्तीसगढ़ के शेर' कहलाते थे। उनकी दहाड़ से जहां अच्छे अच्छे राजनेता और अधिकारियों की हालत पतली हो जाती थी, वहीं उनके अकाट्य तर्कों के सामने सबको उनकी बात माननी पड़ती थी। मुझे एक वाकया याद आ रहा है, जब चौधरी चरणसिंह काम चलाऊ सरकार के प्रधान मंत्री बने और बिलासपुर के दौरे पर आये थे। सर्किट हाउस में उनसे मिलने वालों का तांता लगा था, तब बिलासपुर लोकसभा के सांसद श्री निरंजन केशरवानी भी उनसे मिलने गए। उस समय बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र को अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट बनाने की सिफारिश की जा चुकी थी। केसरवानी जी ने उनसे पूछा कि 'आपने वर्तमान सांसद से बिना सलाह मशविरा किये इसे सुरक्षित सीट कैसे घोषित कर दिया ?' सवाल जवाब के बीच ऐसी स्थिति आ गयी कि उन्हें पुनर्विचार का आश्वासन देना पड़ा। उनकी इस निर्भीकता से जनता बहुत प्रभावित हुई और उन्हें अपने सर-आंखों में बिठा लिया। वे एक सफल अधिवक्ता भी थे। वे तथ्यों को जिस तरह से जिरह करके प्रस्तुत करते थे कि विद्वान न्यायाधीश भी चकित रह जाते थे। बिलासपुर और मुंगेली में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उनकी गिनती एक सफल अधिवक्ताओं में होती थी।
अनूठे व्यक्तित्व के धनी श्री निरंजन केशरवानी का जन्म उनके ननिहाल झलमला, जिला दुर्ग में 29 जून सन् 1930 में हुआ। उनकी प्राथमिक और हायर सेकेंडरी शिक्षा मुंगेली में हुई। उच्च शिक्षा बनारस और बिलासपुर में हई। कानून की शिक्षा उन्होंने नागपुर के मारिस कॉलेज से ग्रहण की। सरल स्वभाव और नेतृत्व क्षमता के कारण वे अपने छात्र जीवन में स्कूल और कालेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। उनके सहपाठी श्री श्रीपति बाजपेयी ने चर्चा के दौरान मुझे बताया कि मैं, श्री निरंजन केशरवानी और श्री राजेन्द्रप्रसाद शुक्ला सहपाठी थे। दोनों शुरू से ही राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी और बहुत अच्छे मित्र थे। उनमें किसी न किसी बात को लेकर अक्सर तकरार हो जाती थी, तब मुझे ही बीच-बचाव करनी पड़ती थी। आगे चलकर दोनों राजनीति में आए और राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी बने। उनके छात्र जीवन के ऐसे अनेक संस्मरण डॉ. गजानन शर्मा भी बताते नहीं अघाते थे। उन्होंने बताया कि उनकी विशेष रूचि समाज, साहित्य और राजनीति में थी।
कानून की शिक्षा उन्होंने नागपुर से उन दिनों प्राप्त की जब सी. पी. एंड बरार प्रदेश की राजधानी नागपुर में थी और उनके पिता श्री अम्बिकाप्रसाद साव रामराज्य परिषद से विधायक थे। राजधानी होने से वे वहां हमेशा जाया करते थे और वहां उनकी बेटी और दामाद भी रहते थे। एक बार वे अपने पिता जी को रेल्वे स्टेशन पहुंचाकर लौट रहे थे तभी रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। इस हादसे में डॉक्टरों की थोड़ी लापरवाही के कारण उनका एक पैर काटना पड़ा था। मगर उनके पिता और माता जी का असीम स्नेह और सहधर्मिणी श्रीमती सरोजनी देवी के सहयोग से उन्होंने अपने जीवन की नैया पार कर ली। उन्होंने अपने जिन्दगी को खूब जिया और अपनी विकलांगता को कभी आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने नागपुर में छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों का एक 'छत्तीसगढ़ क्लब' भी बनाया था। वे अपने मित्रों और सहपाठियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे। एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने मुझे बताया कि एक बार बालपुर के पंडित लोचन प्रसाद पांडेय के पुत्र की तबीयत बिगड़ गयी और उनकी हरकतों से सभी परेशान होने लगे तो उन्हें रायगढ़ तक छोड़ने के लिए किसी को भेजने का निश्चय हुआ। तब उनकी जिद पर उन्हें रायगढ़ तक पहुंचाने आना पड़ा था।
स्मृतियां चलचित्र की भांति मेरे जेहन में घूमने लगती है। मेरी उनसे पहली मुलाकात सारंगढ़ में केशरवानी भवन के उद्धाटन के अवसर पर हुई। वे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। मैं एम. एस-सी. की पढ़ाई पूरी करके लौटा था। सामाजिक गतिविधियों में मेरी पहले से ही गहरी रूचि थी। मैंने शिवरीनारायण में 'केशरवानी यूथ सोसायटी' भी बनायी थी जिसका मैं अध्यक्ष था। इस सामाजिक कार्यक्रम में उन्होंने मुझे ही नहीं बल्कि हमारी नवयुवकों की जमात को अपना स्नेह और संबल प्रदान किया। मुझे वे अपने बगल में बिठाये और मेरी बातों को ध्यान पूर्वक सुनते रहे यही नहीं बल्कि मेरी बातों का पूरा समर्थन किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने मेरी बातों का जिक्र करके मुझे प्रोत्साहित किया। इस घटना ने उनके प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा भर दी। संयोग कहें या फिर ईश्वर की लीला, मेरी शादी उनकी भतीजी कल्याणी से हो गयी। फिर तो कई बार मुझे उनका सान्निघ्य मिला। वे हमसे केवल चर्चा ही नहीं करते बल्कि वे हमारा मार्गदर्शन भी किया करते थे। नवयुवकों की जमात में मेरे अलावा डॉ विनय गुप्ता, प्रदीप केशरवानी, डॉ. विजय गुप्ता, कल्पना, इंद्राणी, कल्याणी, आशीष, अखिल और अंजु केशरवानी, कमलेश्वर, विमल और कुमार आदि थे जिनसे वे हमेशा चर्चा किया करते और हमारा मार्गदर्शन किया करते थे। डॉ. विनय गुप्ता और प्रदीप केसरवानी तो उन्हें अपना आदर्श और प्रेरणास्रोत मानते हैं। चर्चा के दौरान दोनों ने मुझे बताया कि कई बार हमें उनसे प्रेरणा मिली है। उनका स्नेह-संवाद हमारा संबल रहा है। उन्हीं की प्रेरणा से हमने समाज सेवा का बीड़ा उठाया है। डॉ. विनय ने मुझे बताया कि कई बार उनसे मुझे संवाद करने का मौका मिला। डॉक्टर होने के नाते ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती थी कि मुझे जवाब देना मुश्किल हो जाता था, तब वे स्वयं इसका निदान किया करते थे। मैं उनकी मेडिकल साइंस और विज्ञान में पकड़ देखकर आश्चर्यचकित हो जाया करता था। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी स्मृतियां हमें आज भी उनका स्मरण कराती है। वे हमें बहुत याद आते हैं और हमारी आंखें नम हो जाती है।
उनके कई मित्रों, सहयोगियों, सहपाठियों और राजनेताओं से मुझे मिलने और चर्चा करने का मौका मिला। वे हमेशा उनकी निर्भीकता, दबंगता, साहस और सबको साथ लेकर चलने की कला का जिक्र करते अघाते नहीं हैं। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो अथवा राजनीति, कोर्ट का कटघरा हो अथवा होली के अवसर पर महामूर्ख सम्मेलन, सभी में अवश्य शिरकत करते थे। राजनीति तो उन्हें अपने पिता श्री अम्बिका साव से विरासत में मिली थी। कानून की परीक्षा पास करके उन्होंने वकालत शुरू की, तब उनके पिता दूसरी बार चुनाव लड़े जिसमें उन्होंने पूरी सक्रियता से भाग लिया। अंचल के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता और पूर्व सांसद श्री रामगोपाल तिवारी के सानिघ्य में उन्होंने वकालत शुरू की थी। उसके बाद वकालत के क्षेत्र में वे आगे बढ़ते ही गए। समय गुजरता गया और वे वकालत में उलझते गए। इस बीच छत्तीसगढ़ में कई हादसे हुए जिनकी गुत्थियों को सुलझााने के लिए आगे आए, चाहे गुरवाइन-डबरी का गोलीकांड हो, चांपा और पांडातराई का गोलीकांड हो, शक्रजीत नायक का दल बदल प्रकरण हो या जंगबली-बजरंगबली प्रकरण, सभी में उन्होंने नि:स्वार्थ भावना से पैरवी कर अपनी सक्रियता और जननेता होने का परिचय दिया। उनके इन कार्यो से उन्हें प्रसिद्धि ही नहीं मिली बल्कि उन्हें लोगों का असीम प्यार और विश्वास मिला। इससे सत्ताधीशों की नींद हराम हो गयी। उन्हें हमेशा विपक्ष की राजनीति रास आयी और वे भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे। सन् 1975 के अपातकाल में 19 माह वे जेल में रहे और जेल की बुराईयों को दूर करने के लिए संघर्ष किये। इस कारण 19 माह की अवधि में कई जेलों में स्थानान्तरित किया गया। 1977 में उन्हें जेल से मुक्ति मिली और जनता पार्टी की टिकट पर वे बिलासपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। लोगों ने उन्हें अपने सर-आंखों पर बिठाया। उन्होंने अपने पिता श्री अम्बिका साव की स्मृति में बिलासपुर में 'अम्बिकासाव स्मृति स्वर्ण कप हाकी टूर्नामेंट' शुरू कराया था। लेकिन उसके बाद उनकी स्मृति में दोबारा हाकी टूर्नामेंट नहीं हुआ। इसके पूर्व वे सन् 1967 में लोरमी-पंडरिया से विधानसभा चुनाव लड़े और हार गए लेकिन इससे उन्हें संघर्ष करने की प्रेरणा मिली और सन् 1974 में जरहागांव-पथरीया विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर सक्रिय राजनीति में आये। पार्टी के निर्देश पर उन्होंने अकलतरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा मगर हार गए लेकिन सन् 1990 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। वे मुंगेली नगरपालिका के लोकप्रिय अध्यक्ष भी रहे। बिलासपुर को-आपरेटिव्ह बैंक के संचालक और भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये लेकिन वे कभी विचलित नहीं हुए, न ही उनकी दबंगता और निर्भीकता में अंतर आया। राजनीति में पार्टी के नेता तो क्या सत्ता पक्ष के नेता भी उनका लोहा मानते थे और उनका आदर करते थे। संभवत: यही कारण है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण स्थान था। पार्टी के नेता उन्हें अपना सर्वमान्य नेता मानते थे। डॉ. गजानन शर्मा उन्हें अपना एक जिज्ञासु और साहित्य के विद्यार्थी के रूप में देखते थे तो स्वजातीय उन्हें अपना सर्वमान्य प्रमुख। विविध विधाओं में पारंगत और हंसमुख मिजाज के धनी श्री निरंजन केसरवानी जिंदगी के अंतिम पड़ाव में सबके होकर भी उनके नहीं थे। उनकी अस्वस्थता को राजनीतिक निष्क्रियता समझा गया। नागपुर और दिल्ली के अस्पताल में वे जिंदगी और मौत से जूझते रहे। वे बहुत कुछ चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे, तब उन्हें पहली बार राजनीति में आने का दु:ख हुआ। हालांकि सांसद श्री दिलीपसिंह जूदेव अंतिम समय तक उनके साथ रहे मगर अंतत: वे जिंदगी से हार गए। इस अंतिम यात्रा में वे अपने मित्रों, स्वजनों, परिजनों को याद करते रहे। वे मुंगेली की उर्वरा भूमि में एक कृषि महाविद्यालय खुलवाना चाहते थे मगर उनका सपना अधूरा रह गया। वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। कदाचित् इसी कारण उनके अनुज श्री निर्मलप्रसाद केसरवानी ने उन्हें ''अलख निरंजन'' कहा करते हैं, वही निरंजन जो जीवन भर अलख जगाते रहे। आज उनकी केवल स्मृतियां शेष हैं। हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
नाम : निरंजन केसरवानी
पिता : अम्बिका प्रसाद साव
माता : श्रीमती नान्ही बाई
पत्नी : श्रीमती सरोजनी देवी
जन्म तिथि : 29 जून 1930, ननिहाल झलमला जिला- दुर्ग
शिक्षा : बी. ए., एल. एल-बी.
अभिरूचि : साहित्य, समाज और राजनीति
राजनीतिक यात्रा : 1967 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किये। हांलांकि इस चुनाव में उन्हें विजय नहीं मिला लेकिन क्षेत्र की जनता में वे काफी लोकप्रिय हो गये।
1974 में जरहागांव-पथरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित।
1977 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित।
1985 में अकलतरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़े मगर हार गये।
1990 में लोरमी-पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित।
नगरपालिका परिषद मुंगेली के दो बार अध्यक्ष रहे।
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे।
जिला सहकारी बैंक बिलासपुर के संचालक रहे।
भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रहे।
विधानसभा के कई समितियों के सदस्य रहे।
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रचना, लेखन एवं प्रस्तुति,
प्रो. अश्विनी केशरवानी
राघव, डागा कालोनी,
चांपा-495671 (छ.ग.)
Saturday, November 1, 2008
बिपाशा अग्रवाल : वाराणसी से न्यूयार्क का सफर
रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
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